Counter

Saturday, December 26, 2009

हिंदुत्व की रक्षा हेतु अब साधू संतो का राजनीती में आना अनिवार्य


गुरुनाथ अखाडा के पीठाधीश जगतगुरु वामाचार्य सेवक संजय नाथ ने समस्त भारत के साधू संतो से यह अपील की है की यदि भारत में हिंदुत्व कों बचाना है तो हम सब साधू एक मंच पर आयें एवं बिना किसी स्वार्थ के हिन्दू हित के लिए एक नए राजनितिक दल की स्थापना करें
जिसे हम सब साधू संत अपना हिमायती समझते थे और अपनी पूरी शक्ति उस तथाकथित हिन्दू पार्टी केलिए न्योछावर कर दिया वह एक सबसे बड़ी भूल थी क्योंकि उस पार्टी के कार्यकर्त्ता स्वयं साधू संत नहीं थे। वे सिर्फ साधू संतो कों गुमराह कर अपने निजी स्वार्थ कों पूरा करना चाहते थे। जिसका जीता जगता प्रमाण है भारतीय जानता पार्टी।
जब इनका चुनाव आता है तो राम जन्म भूमि याद पड़ती है और जब ये चुनाव जीत के जाते हैं तो राम की जगह इनको जिन्नाह याद आ जाते हैं। इस से बड़ा धोखा और क्या होगा?
जब यह कहते हैं की जब हमारी सरकार बनेगी तो सर्व प्रथम राम जन्म भूमि पर मंदिर बनेगा और भारत में राम राज्य आएगा लेकिन सरकार बनते ही जब इनकी रथ यात्रा निकलती है तो राम कों भूल कर ये रहीम रूपी अनेक नेताओं कों अपने रथ पर सवार करते हैं।
इसलिए हम हिन्दू एवं साधू संतों कों ऐसे नेताओं से बचना है एवं ऐसी एक राजनितिक दल की स्थापना करनी है जो राम की बात करे और राम राज्य की सही में स्थापना करे।
यह भाजपाई नेता राम के नाम पर जीत कर जाते हैं पर राम का मंदिर नहीं बनवाते। इनसे अच्छी तो कांग्रेस सरकार है जिसने राजीव गाँधी के समय में बिना राम नाम का सहारा लिए राम जन्म भूमि में लगा हुआ ताला खुलवा दिया। वहीँ कांग्रेस की नरसिंघा राव की सरकार में विवादास्पत बाबरी मस्जिद कों गिरा दिया गया।
वहीँ राम जन्म भूमि के नाम पर जीत जाने वाली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार राम जन्म भूमि कों भूल कर फील गुड में लग गयी। जिसका परिणाम स्वयं राम ने भाजपा कों दिखाया और वह आज जग जाहिर है। और राम के सही भक्त कांग्रेस कों फिर से गद्दी पर बिठाया।
इस से सिर्फ यह सिद्ध होता है की भाजपा सिर्फ बोलती है करती नहीं परन्तु कांग्रेस बोलती नहीं है और कर दिखाती है।

हिन्दू विचारो रथ यात्रा के प्रथम चरण के प्रमुख पड़ाव


" जो हिन्दू हित की बात करेगा वही बिहार में राज़ करेगा "


2१ जनवरी २०१० हिन्दू रथ यात्रा का शुभारम्भ तथा यात्रा के पड़ाव की जानकारी :
यात्रा का प्रथम पड़ाव - २१ जनवरी २०१० कों उद्घाटन के उपरांत अनुमंडल कार्यालय रक्सौल में जा कर एस डी एम रक्सौल कों सात सूत्रीय मांग का ज्ञापन पीठाधीश जगतगुरु द्वारा
यात्रा का द्वितीय पड़ाव - रामगढ़वा मेन रोड पर आम सभा कों जगतगुरु वामाचार्य तथा पूजनीय चिन्मयानन्द स्वामी द्वारा संबोधन।
यात्रा का तृतीय पड़ाव - सघौली में अध्यक्ष तथा विशिष्ट अतिथि द्वारा जनता कों संबोधन
यात्रा का चतुर्थ पड़ाव - मोतिहारी जिला अधिकारी के समक्ष अध्यक्ष, उद्घाटन कर्ता,सम्मानित तथा विशिष्ट अतिथि द्वारा जनता का संबोधन एवं सात सूत्रीय मांग कों जिला अधिकारी कों सौपना।
यात्रा का पांचवा पड़ाव - अरेराज मठ में रात्रि विश्राम एवं साधू संतों के भंडारे का आयोजन।

२२ जनवरी २०१० हिन्दू विचारो रथ यात्रा का दूसरा दिन और उसकी जानकारी:
यात्रा का प्रथम पड़ाव - सुबह अरेराज मठ में जनता के बीच जगतगुरु वामाचार्य सेवक संजय नाथ का संबोधन। इसमें एन डी ऐ सरकार के हिन्दू विरोधी गतिविधियों का भंडा फोड़ करना तथा आम हिन्दुओं कों यह बताना की यह सरकार हिन्दू विरोधी है।
यात्रा का द्वितीय पड़ाव - पीपराकोठी में आम जनता कों एन डी ऐ सरकार की हिन्दुओं कों गुमराह करने की निति का खुलासा करना।
यात्रा का तृतीय पड़ाव - चकिया में रथ यात्रा समिति का जनता के समक्ष संबोधन।
यात्रा का चतुर्थ पड़ाव - मेहसी में यह यात्रा आर एस एस कों भाजपा का समर्थन न देने की मांग करेगी एवं भाजपा ने किस प्रकार हिन्दुओं का वोट ले कर उन्हें छला है इसका खुलासा करेगी।
यात्रा का पाचवा पड़ाव - मोतीपुर में सभा का संबोधन करते हुए जनता कों बताया जायेगा की इस से अछी पूर्व की सरकार रही है। यदि उन्होंने हिन्दुओं के लिए कुछ नहीं किया तो उन्हें मुस्लिमो की खातिर हिन्दुओं कों नज़र अंदाज़ भी नहीं किया। पर इस सरकार ने तो हिन्दुओं से झूठे वादे कर के मुस्लिमो का समर्थन किया।
यात्रा का छठवा पड़ाव - कांटी में इस बात पर चर्चा की जाएगी की यह सरकार विदेशियों के हाथ बिक चुकी है। इसको सिद्ध करने के लिए किशनगंज में अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय का निर्माण करने की घोषणा जो की मुस्लिम आतंकवादी संगठन का संरक्षण कर्ता है उसका सरकार की तरफ से स्वागत इसकी पुष्टि करता है।
यात्रा का सातवा पड़ाव - मुज्जफरपुर में रात्रि विश्राम एवं साधू संतों के भंडारे का आयोजन।

२३ जनवरी २०१० हिन्दू विचारो रथ यात्रा का तीसरा दिन और उसकी जानकारी:
यात्रा का प्रथम पड़ाव - सुबह मुज्जफरपुर कमिशनर कों सरकार के हिन्दू विरोधी कार्यों की जानकारी देते हुए कमिशनर कों सात सूत्रीय मांग का ज्ञापन देना।
यात्रा का दूसरा पड़ाव - गरौल में जनता के सामने नितीश सरकार के हिन्दू विरोधी गतिविधियों का भंडा फोड़।
यात्रा का तृतीय पड़ाव - भगवानपुर में आम जनता कों यह बताया जायेगा की भाजपा हिन्दुओं की पार्टी नहीं है।
यात्रा का चतुर्थ पड़ाव - सराये (वैशाली डिस्ट्रिक्ट)में जनता के सामने भाजपा के झूठे वादे जैसे की गौ हत्या कों रोकेंगे, हिन्दुओं के धार्मिक मठ मंडलों कों सुरक्षित करेंगे का खुलासा।
यात्रा का पांचवा पड़ाव - हरिपुर ( हाजीपुर) में महा प्रभु की बैठक में रात्रि विश्राम एवं भंडारा।

२४ जनवरी २०१० हिन्दू विचारो रथ यात्रा का चौथा दिन एवं उसकी जानकारी -
यात्रा का प्रथम पड़ाव- सुबह हाजीपुर के जिला अधिकारी के समक्ष हिन्दू विरोधी सरकार का भंडाफोड़ करना तथा जिलाधिकारी कों सात सूत्रीय मांग पत्र का ज्ञापन करना एवं आम हिन्दुओं के साथ एक बैठक कर हिन्दू हित के लिए एक नयी पार्टी के निर्माण हेतु विचार विमर्श।
यात्रा का दूसरा पड़ाव - बिहार की राजधानी पटना में विद्यापति भवन में हिन्दू विचारो रथ यात्रा के प्रथम चरण का समापन समारोह। जिसके मुख्य अतिथि डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह , माननीय सांसद तथा पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री भारत सरकार होंगे। सम्मानित अतिथि धर्माचार्य स्वामी हरी नारायणानंदजी महाराज पटना होंगे।
विशिष्ट अतिथि श्री प्रभुनाथ सिंघ पूर्व सांसद महाराजगंज, श्री महाचंदर सिंघ नेता विरोधी दल बिहार विधान परिषद् , श्री विजय गुप्ता पूर्व मंत्री बिहार सरकार रहेंगे।

" जो हिन्दू हित की बात करेगा वही बिहार में राज़ करेगा "

Friday, December 25, 2009

गुरुनाथ अखाडा द्वारा आयोजित हिन्दु विचारो रथ यात्रा के प्रथम चरण का शुभ आरम्भ- २१ जनवरी २०१०


भाजपा और जदयु के मुस्लिम प्रेम के विरोध में बिहार के
साधू संतों का एतिहासिक हिन्दू विचारो रथ यात्रा वाम पीठ पीठाधीश्वर जगतगुरु वामाचारी सेवक संजयनाथ की अध्यक्षता में २१ जनवरी से।

रथ यात्रा का उद्देश्य :

प्रिय हिन्दू बंधुओं,
बिहार के समस्त हिन्दूओं ने भाजपा के नाम पर राष्ट्रिय प्रजातान्त्रिक गठबंधन सरकार कों पूर्व के विधान सभा चुनाव में अपना बहुमूल्य वोट यह सोच कर दिया था की यह सरकार हिन्दुओं के पक्ष में भी कार्य करेगी। लेकिन हम सब हिन्दुओं का यह दुर्भाग्य था की हमारे ही वोट से सत्ताशीन होने वाली सरकार हम लोगों की ही उपेक्षा करने लगी। उक्त विषय पर ध्यान देते हुए बिहार के सभी साधू संतों ने गहरी विचार विमर्श के पश्चात् धर्म रक्षार्थ सड़क पर उतरने का निर्णय लिया है।
आप सभी हिन्दू अपने अधिकार के लिए जागे और अपना हक़ सरकार से मांगे। क्योंकि यह सरकार बिना मांगे सिर्फ मुस्लिमों के लिए सरकारी खजाना खोलती है और हम हिन्दूओं की घोर उपेक्षा कर रही है।
यहाँ पर आप लोगों के बीच बिहार सरकार की मुस्लिम प्रेम की कुछ झलकिया दी जा रहीं हैं, जिसपर आप सभी गंभीर विचार करे और अपने हक़ के लिए जागरूक होएं।

बिहार सरकार द्वारा मुस्लिमों के लिए किया गया कार्य

१ मुस्लिमों के लिए सरकार कब्रिस्तानों की घेरा बंदी सरकारी पैसों से जोर शोर से करा रही है.
२ मुस्लिम समुदाय के धर्म स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही उनके धर्म स्थलों के सभी प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ती की जा रही है।
३ मुस्लिम समुदाय की हज यात्रा पर सरकारी खजाने से अरबों रूपए लुटाये जा रहे हैं और भव्य हज हाउस के निर्माण पर सरकार करोड़ों रूपए खर्च कर रही है।
४ मुस्लिम समुदाय के बच्चो कों मेट्रिक की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में आने पर दस हज़ार रूपए की प्रोत्साहन राशी दी जा रही है।
५ मुस्लिमों के लिए उर्दू शिक्षको की बहाली भारी संख्या में की जा रही है। स्थिति यह है की उर्दू शिक्षक बिहार में मिल नहीं रहे हैं।
६ अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय की शाखा बिहार के किशनगंज में खोली जा रही है जो सिमी जैसे प्रतिबंधित संगठन कों आश्रय देती है, जिसे पूरा भारत जानता है।
७ भागलपुर दंगा में एक भी मुस्लमान अभियुक्त नहीं हुआ।

बिहार सरकार द्वारा हिन्दूओं के लिए किया गया कार्य

१ हिन्दूओं के लिए कहीं भी नए शमशान घाट बनाना तो दूर, पुराने जर्जर शमशान घाटों की मरम्मत भी नहीं करवाई जाती।
२ हिन्दूओं के मंदिरों और मठों की संपत्तियों का अधिकरण कर तथा साधू संतों कों बाहुबली , गुंडा , क्रिमिनल जैसे शब्दों के इस्तेमाल से गालियाँ दी जा रही हैं तथा गाँव के छोटे मंदिरों कों यह सरकार कोई ध्यान नहीं देती है।
३ वहीँ हम हिन्दुओं के लिए ना कैलाशमान सरोवर, ना अमरनाथ और ना ही कोई भी दुर्गम तीर्थ स्थल पर सरकारी स्तर पर कोई व्यवस्था की जाती है। हम हिन्दुओं के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है। ४ वहीँ हिन्दू बच्चो के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। क्या हिन्दुओं के बच्चे मेट्रिक की परीक्षा चोरी से पास करते हैं?
५ वहीँ संस्कृत शिक्षको तथा विद्यालयों की दशा की कोई भी सुधि लेने वाला नहीं है।
६ वहीँ हिन्दुओं के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की शाखा नहीं खोली जा रही है, जहाँ देश भक्त पैदा होते है।
७ वहीँ एक भी हिन्दू अभियुक्त निर्दोष एवं बरी नहीं हुआ। सभी हिन्दुओं कों उम्र कैद की सजा सुनाई गयी। क्या इस दंगे में सिर्फ मुस्लिम मरे थे? जिनका आरोप हिन्दुओं पर लगाया गया!! क्या हिन्दुओं की मौत नहीं हुई? यदि दंगे में हिन्दुओं की भी मौतें हुई तो फिर सिर्फ हिन्दुओं कों सजा क्यों? और हद तो यह है की सरकार हर मंच पर इसे सपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताती है।

गुरुनाथ अखाडा की बिहार सरकार से मांग :

१ धार्मिक न्यास परिषद् में अध्यक्ष से ले कर सदस्य सभी साधू , संत तथा सन्यासी हों।
२ बिहार में सभी जगह हिन्दुओं के शमशान घाट की व्यवस्था होत।
३ बिहार में सभी हिन्दुओं के बच्चो कों मेट्रिक की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में आने पर दस हज़ार की पुरस्कार राशी दी जाये अन्यथा मुस्लिम बच्चो की भी प्रोत्साहन राशी कों बंद किया जाये।
४ बिहार के हिन्दुओं कों समय समय पर तीर्थ स्थल सरकारी खर्चे पर भेजा जाये तथा एक भव्य तीर्थ भवन का निर्माण कराया जाये।
५ बिहार के सभी संस्कृत विद्यालयों के विकास के साथ ही संस्कृत शिक्षकों की बहाली भी की जाये ताकि भारत की संस्कृति की जननी संस्कृत भाषा मरने से बच सके।
६ बिहार के उन सभी मठों और मंदिरों का विकास सरकार करे जिनको की नज़र अंदाज़ किया गया है और वह बहुत बुरी स्थिति में हैं।
७ गौ हत्या एवं गौ तस्करी पर जल्द से जल्द सरकार की तरफ से प्रतिबन्ध लगाया जाये ताकि फिर से बिहार में दूध की नदियाँ बहने लगें।

रथ यात्रा से जुड़े लोग :
रथ यात्रा के उदघाटन करता - परम पूज्य स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वतीजी महाराज ( पूर्व गृह राज्य मंत्री भारत सरकार) परमार्थ आश्रम हरिद्वार
रथ यात्रा के मुख्य अतिथि - श्री रघुवंश सिंह ( पूर्व केंद्रीय मंत्री भारत सरकार , वर्त्तमान सांसद )
रथ यात्रा के विशिष्ट अतिथि - श्री प्रभुनाथ सिंह ( पूर्व सांसद ), श्री विजय कुमार गुप्ता ( पूर्व मंत्री बिहार सरकार),राष्ट्र सेवा दल के संस्थापक श्री प्रदीप जोशी ( तात्कालिक विधायक देहरी अनसौन)

हिन्दू विचारो रथ यात्रा कार्यकारिणी कमिटी -
अध्यक्ष - वाम पीठ पीठाधीश्वर जगतगुरु वामचार्य सेवक संजय नाथ, गुरुनाथ अखाडा, रक्सौल।
उपाध्यक्ष - श्री महंत हरी चरण भारती , दुलारपुर मठ, बेगुसराय।


" हिन्दुओं एक हों "
"सिर्फ हज भवन क्यों तीर्थ भवन क्यों नहीं?"
"हम हिन्दू हैं अछूत नहीं "
" मुस्लिम छात्रों कों प्रोत्साहन राशी, हिन्दू छात्रों कों क्यों नहीं?" "कब्रिस्तानों की घेरा बंदी सरकारी खर्च से, शमशान घाट और छठ घाट कौन बनाएगा?"
"देश फिर गुलामी की तरफ अब फिरंगी नहीं पकिस्तान परस्त राज करेगा"
"हिन्दू नहीं जगे तो हमारे संस्कृति का पतन अवश्य संभावी है।"

Monday, December 21, 2009

सेवक संजयनाथ कालीन्यास विद्यालय -वार्षिकोत्सव २० दिसम्बर २००९


सेवक संजयनाथ कालीन्यास विद्यालय का वार्षिकोत्सव रविवार को विद्यालय परिसर में समारोहपूर्वक संपन्न हुआ। इस मौके पर विद्यालय के संस्थापक सेवक संजयनाथ का जन्मोत्सव भी धूमधाम के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि सह नगर परिषद सभापति गोपालगंज किरण देवी एवं मोतिहारी के वरीय अधिवक्ता एनपी ललित ने संयुक्त रूप से मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने विभिन्न एकल, सामूहिक नृत्य एवं नाटक प्रस्तुत किया, जिन्हें उपस्थित दर्शकों ने खूब सराहा।

इसी क्रम में वर्ष 2009 का पीठाधीश पुरस्कार देश सेवा के लिए उप सेनानायक एसएसबी लोकेश कुमार सिंह को, धार्मिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सुरेन्द्र त्रिपाठी पटना को, पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए राजेश वर्मा एवं समाजसेवा में उल्लेखनीय योगदान के लिए पशुपति प्रसाद साह वीरगंज को प्रदान किया गया।
पीठाधीश पुरस्कार कार्यक्रम का संचालन डा. स्वयंभू शलभ एवं मंच संचालन चंद्रशेखर भारती ने किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए छात्र-छात्राओं को विभिन्न पुरस्कार प्रदान किया गया। इस मौके पर न्यास अध्यक्ष किरण शंकर, सत्यप्रिय त्रिवेदी, सत्यदेव कुमार सतन, पप्पू कुमार, सेवक सौरभनाथ, पूर्णिमा भारती, विजय कश्यप, रंजिता भार्गव आदि मौजूद थे।

Thursday, October 29, 2009

गुरुनाथ अखाडा का शाही स्नान २-११-२००९ को


विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र के कार्तिक पूणिमा के स्नान में अखाडा के हजारो साधू संत भाग लेगे इस स्नान में सर्व प्रथम जगतगुरु वामचार्य स्नान करेगे इसके बाद सभी साधू संत स्नान करेगे इसके बाद अखाडा का सनातन धर्म संसद होगा जिसमे नीतिश सरकार के मुस्लिम तुस्टीकरण निति का बिरोध एवं हिन्दुओ को अपने अधिकार के लिए आगे आने का आवाहन किया जाएगा

विश्व मगल गो ग्राम यात्रा को संबोधित करते हुए जगतगुरु वामचार्य











सभा को संबोधित करते हुए जगतगुरु वामचार्य ने कहा की गौ माता हमारी जन्म देने वाली माता से भी बड़ी है।
हमारी माँ हमें दो से तीन साल तक के उम्र तक अपना दूध पीलाकर पालती है लेकिन वही गौ माता हमे बचपन से ले कर जीवन के अन्तिम समय तक अपने दूध को पिलाती है।
उन्होंने कहा की गौ माता हमारे जन्म देने वाली माँ से भी बड़ी है फ़िर भी हम अपनी जन्म देने माँ को अंत समय तक सेवा करते है तथा अंत में मरने के बाद हम उनकी दाहसंस्कार कर भोज का आयोजन करते है एवं उनके नाम पर दान पुण्य करते है जब की गौ माता जब तक हमे दूध पिलाती है तब तक हम उनकी सेवा करते है लेकिन जैसे ही वह दूध देना बंद कर देती है वह हमारे लिए बोझ बन जाती है और हम उसे एक निरदयी के सामान कसाई के हाथो बेच देते है जो कसाई लेजाकर उसकी हत्या कर देता है।
जगतगुरु ने कहा की भारत में गौ माता की सुरक्षा तभी किया जा सकता है जब भारत के सभी हिंदू अपनी माता के सामान गौ माता की सेवा करे।
जगतगुरु ने मुस्लिम कौम से भी कहा की आप सब में दूध का और महत्व है फ़िर भी आप लोग गौ माता का खून क्यो करते है?
जगतगुरु ने मुस्लिमो को भी गौ माता की सेवा हेतु आगे आने को कहा एवं भारत सरकार से भी गौ माता की हत्या न हो इसके लिए नया कानून बनाने पर जोर दिया।

Tuesday, October 20, 2009

राजीव गाँधी, इंदिरा गाँधी प्रतिभा पुरुस्कार समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए जगतगुरु

भारतीय राष्टीय छात्र संगठन रक्सौल ने आज राजीव गाधी एवं इंदिरा गाँधी प्रतिभा समारोह का आयोजन किया, जहाँ पर विशिष्ट अतिथि के रूप में जगतगुरु वामचार्य सेवक संजयनाथ आमंत्रित थे।
उन्होंने अपने संबोधन में छात्रों, अभिवावाको एवं शिक्षको को कहा की आज बिहार की शिक्षा सभी राज्यों की शिक्षा के मुकाबले में बहुत बुरी हालत में है। फ़िर भी बिहार राज्य के छात्र पूरे देश में शिक्षा के छेत्र में अवल्ल हैं। यदि बिहार में शिक्षा निति को और सुधार दिया जाए तो हमारे बिहार के बच्चे पूरे विश्व में अपना नाम रोशन कर देंगे।
जगतगुरु ने बिहार की शिक्षा नीति और शिक्षको, अभिवावाको तथा छात्रों को समझाया की आज की स्थिति ऐसी है की जिन कॉलेज के शिक्षको को ४०-५० हज़ार मासिक तनख्वा मिलती है वह भी कॉलेज में ना पढ़ा कर घर पर टूशन लेते हैं। उन्होंने इसके पीछे अभिवावाको तथा छात्रों को भी दोषी बताया। जब तक अभिवावक टूशन प्रथा के खिलाफ आवाज़ नही उठाएंगे तब तक कॉलेज में पढ़ाई का माहोल कभी नही बन पायेगा।
उन्होंने बच्चो से यह कहा की वे नित्य स्कूल तथा कॉलेज में जा के पढ़ाई करें। यदि शिक्षक पढानेसे मना करते हैं तो प्रिंसिपल से शिकायत करें। और यदि प्रिंसिपल भी कोई सहायता नही करते तो राज्यपाल को शिकायत पत्र भेजें। जब तक छात्र और अभिवावक जागरूक नही होंगे तब तक उनका कार्य सही ढंग से नही हो पायेगा। साथ ही साथ शिक्षको को भी संबोधित करते हुए जगतगुरु ने कहा की जिस कार्य के लिए उन्हें पैसे मिलते है उस कार्य को इमानदारी से करें। यदि आज शिक्षक बच्चो को अपना न समझ कर सही राह नही दिखाएंगे तो कल को स्वयं उनके बच्चे ग़लत राह पर चले जायेंगे।

जगतगुरु वामचार्य ने यह कहा की लोग उन्हे कट्टर हिंदूवादी कहते हैं, परन्तु वह कट्टर देश भक्त हैं। चाहे हिंदू हो या फ़िर मुसलमान जो भी देश के लिए अनहित कार्य करेगा वह जगतगुरु का दुश्मन होगा। जगतगुरु ने आजकी आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर टिप्पणी करते हुए उपनिषद के एक श्लोक को हिन्दी में सुनाया की "जो अविद्या में रत हैं वह तो नरक में जाते हैं परन्तु जो विद्या में रत हैं वह घोर नरक में जाते हैं।"
उन्होंने कहा की जिस विद्या में आत्मज्ञान नही वह बेकार है। जिस विद्या में संस्कार नही वह भी बेकार है। इस बात के समर्थन में उन्होंने राम और रावन का उदहारण देते हुए याद दिलाया की विद्या में श्री राम तथा रावन दोनों ही बहुत ज्ञानी थे। परन्तु राम के पास विद्या के साथ संस्कार भी थे और रावन संस्कार हीन था। राम ने अपनी विद्या का प्रयोग जनहित में किया और रावन ने अपने स्वार्थ के लिए। इसी प्रकार सिर्फ़ विद्या ग्रहण करने से व्यक्ति आगे नही बढ़ता। संस्कार और आत्मज्ञान का होना भी अति आवश्यक है।
अंत में जगतगुरु ने राष्ट्रीय छात्र संगठन के जिला अध्यक्ष श्री अखिलेश दयाल को बधाई देते हुए रक्सौल के कस्तूरबा बालिका उच्च विद्यालय और हजारीमल उच्च विद्यालय के प्रथम तीन बच्चो जिनका रिजल्ट हाई स्कूल में पहले तीन स्थान पर होगा ऐसे ६ बच्चो को अपनी तरफ़ से उनके इंटर की शिक्षा का पूरा खर्च देने की घोषणा की। साथ ही साथ उन्होंने कहा की हर क्षेत्र में उत्तम कार्य करने वालो को सम्मानित करना चाहिए। उन्होंने एस एस बी कमांडेंट श्री लोकेश कुमार सिंह की प्रशंशा करते हुए कहा की उन्होंने तस्करों एवं आतंकवादियों पर अंकुश लगा के रक्सौल बॉर्डर को सुरक्षित किया है। समाज को ऐसे व्यक्तियों को सम्मानित करना चाहिए ताकि अन्य अधिकारी भी अच्छे कार्य की तरफ़ अग्रसित हो। जगतगुरु सेवक संजय्नाथ ने इस साल के पीठाधीश पुरस्कार के लिए एक नाम लोकेश कुमार सिंह का भी चयनित किया.

Monday, October 19, 2009

सभी हिन्दुओं ने मनाया चित्रगुप्त पूजा - काली मन्दिर रक्सौल

सेवक संजयनाथ तांत्रिक काली मंदिर में छठे मंज़िल पर स्थापित विश्व के अद्वितिय भगवान चित्रगुप्त महाराज अपने 12 वंशजो के साथ विराजमान हैं. विश्व के किसी भी मंदिर में श्री चित्रगुप्त महाराज अपने 12 वंश के साथ कही भी मूर्ति रूप में स्थापित नही है।

सेवक संजयनाथ तांत्रिक काली मंदिर में चित्रगुप्त परिवार की इस अलौकिक प्रतिमा की अनोखे ढंग से पूजा की जाती है. चित्रगुप्त महाराज की पूजा पूरे विश्व में सिर्फ़ कायस्थ जाति के लोग ही किया करते हैं परंतु सेवक संजयनाथ तांत्रिक काली मंदिर में समस्त हिंदू धर्म के लोग चित्रगुप्त महाराज की पूजा बड़े चाव से करते हैं.

यह अपने आप में ही एक अद्भुत घटना है। इस मौके पर जगतगुरू वामाचार्या ने सभी हिंदू धर्म प्रेमियों से कहा की भगवान किसी जाति विशेष के नही होते हैं। जो व्यक्ति जिस प्रकार के कार्य करता है उसी के ईष्ट देवता की अराधना भी करता है। जैसे पहले विश्वकर्मा पूजा सिर्फ़ लोहार ओर बड़ई जाति के लोग ही किया करते थे. परंतु आज जो भी लोग फॅक्टरी आदि में काम करते हैं वो सभी बिना जाति को देखते हुए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं।
इसी प्रकार जो भी लोग कलम तथा लेखनी द्वारा अपना जीवन यापन करते हैं उन्हे भगवान चित्रगुप्त महाराज की पूजा अवश्य करनी चाहिए. जो भी बच्चे पढ़ाई में कमजोर हैं उन्हे तो रोज़ ही चित्रगुप्त महाराज की पूजा करनी चाहिए।

साथ ही साथ जगतगुरू ने बताया की यदि पूजा अर्चना जाति विशेष होती तो भीस्म पितामह को इक्षा मृत्यु का वरदान चित्रगुप्त महाराज से कभी ना मिलता। महाभारत के समय भीष्मा पितामह ने क्षत्रिय होते हुए भी चित्रगुप्त भगवान की आराधना की और भगवान चित्रगुप्त ने भी उन्हे इक्षा मृत्यु का वरदान दे कर इस बात की पुष्टि की की पूजा किसी भी जाति विशेष तक सीमित नही होती।

इस पूजा में विश्व हिन्दूवामाशक्ति के कार्याकर्ताओं ने भाग लिया जिसमें किरण शकर, अनिल कुमार सर्राफ़, चंद्रशेखर भारती, संजीत मिश्रा, सेवक सौरभनाथ, श्रीमती बिना सर्राफ़,दीपक श्रीवास्तवा तथा मनीष पाठक ने कलम दवात की विधिवत पूजा की और हवन के बाद सभी भक्तो में प्रसाद वितरण किया गया।

Saturday, September 19, 2009

दसहरा में दस महाविद्या की देवियों की तांत्रिक आराधना कैसे करें?

दसहरा के नवरात्र पूजा भारत में एक बहुत ही प्रमुख पर्व है। इसे काली पूजा, दुर्गा पूजा इत्यादी नामो से जाना जाता है। इन दस दिन में दस महाविद्या की दसो देवियों की दसो दिशाओं में पूजा की जाती है।ऐसा करने से दस महाविद्या की दसो देवियाँ प्रसन्न होती हैं तथा भक्तो और साधको को सभी कष्टों से उबारती हैं।
मैं दस महा विद्या पूजा का महात्म आप सभी को बताना चाहता हूँ।माँ काली दसो दिशाओं में दस महा विद्या के रूप में वास करती है। इसी लिए दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय में माँ काली के दस मुख, दस हाथो और दस पैरों का वर्णन है। दस महा विद्या की दस देवियाँ मनुष्य की सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति करती हैं।

माँ काली काल को हरती हैं।
माँ तारा पापों से मनुष्यों को तारती हैं।
माँ भुवनेश्वरी हमें भुवन के सभी सुख प्राप्त करने का आर्शीवाद देती हैं।
माँ षोडशी हमारे यौवन को सदा बना रखती हैं।
माँ छिन्मस्तिका मनुष्य के मस्तिक्ष की चिंताओं को हरती है तथा मति प्रदान करती हैं।
माँ भैरवी सभी प्रकार के भ्रम दूर करती है तथा शक्ति प्रदान करती हैं।
माँ धूमावती हमारे जीवन की धुंध को दूर करती हैं।
माँ बगलामुखी सभी दुश्मनों का मर्दन करती हैं।
माँ मातंगी मातृत्व का सुख प्रदान करती हैं।
माँ कमला सभी प्रकार के सुख समृधि प्रदान करती हैं।

मैंने दस महाविद्या की दसों देवियों की नवरात्र में प्रतेक दिन कैसे आराधना करनी है उसका वर्णन किया है। दस महा विद्या की देवियों की इन दस दिनों में किस प्रकार साधना करनी है उसके लिए निम्न लेखो को पढे।

१ प्रथम दिन - माँ काली http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_27.html
२ दूसरा दिन - माँ तारा http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_3376.html
३ तीसरा दिन - माँ भुवनेश्वरी http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_8850.html
४ चौथा दिन - माँ षोडशी http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_28.html
५ पांचवा दिन - माँ छिन्मस्तिका http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_29.html
६ छठा दिन - माँ भैरवी http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_30.html
७ सातवाँ दिन - माँ धूमावती http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_7290.html
८ आठवा दिन - माँ बगलामुखी http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_5568.html
९ नौवा दिन - माँ मातंगी http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_6393.html
१० दसवां दिन - माँ कमला http://merivaanimerajeevan.blogspot.com/2009/03/blog-post_7899.html

विश्व भर के श्रधालुओं के लिए सेवक संजयनाथ तांत्रिक काली मन्दिर में सामूहिक रूप से ६०१ कलश की स्थापना संपन्न

सेवक संजयनाथ तांत्रिक काली मन्दिर रक्सौल में सामूहिक रूप से ६०१ कलश की स्थापना संपन्न हुई। जो की एक विश्व रिकॉर्ड है। एक ही प्रान्गंड में ६०१ भक्तो के ओरसे दसहरा की पूजा में दस महाविद्या देवियों की आराधना हेतु ६०१ कलश दिनांक १८ सितम्बर २००९ को स्थापित हुए। इस प्रकार मन्दिर ने स्वयं अपने ही ५५१ कलश स्थापना के पुराने रिकॉर्ड को इस बार तोड़ दिया। विश्व में यह पहला ऐसा मन्दिर है जहा एकसाथ इतने कलशो की स्थापना होती है और भक्तजन एक साथ माँ काली की दसहरा में आराधना करते हैं।


चाइना, जर्मनी, अमेरिका, इंग्लैंड, श्रीलंका, नेपाल, ऑस्ट्रेलिया, मौरिसिअस जैसे देशों से भी श्रधालुओं ने कलश स्थापना करवाए। ओर भारत देश के भी सभी कोनो से भक्तो ने कलश स्थापना करवाया। बिहार, बंगाल, महारास्त्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, तमिल नाडू, कर्नाटक आदि राज्यों से भक्तो ने दस महाविद्या साधना करने के लिए कलश स्थापित करवाए।
इन सभी ६०१ भक्तो के लिए मन्दिर और ट्रस्ट के कार्यकर्ताओं ने मात्र २०१ रुपए में दसहरा के दसो दिनों की पूजा की पूरी व्यवस्था की है।

Saturday, September 12, 2009

पाकिस्तान में हिन्दुओं पर अत्याचार फ़िर भी भारत सरकार चुप क्यों?

पाकिस्तान में हो रहे हिन्दुओं पर अत्याचार को देखते हुए मेरी केन्द्र सरकार से मांग है की जल्द से जल्द इस ओर सख्त कार्यवाही की जाए। पिछले कुछ दिनों में पकिस्तान में रहने वाले हिन्दुओं ओर सिखों की बहु बेटियों पर पाकिस्तान के मुस्लिम लोगों ने अति घ्रणित अत्याचार किए हैं जिसमें सामूहिक बलात्कार के बाद धर्म परिवर्तन करना सबसे ज्यादा प्रमुख है।

परन्तु भारत एवं पकिस्तान सरकार ने इस काण्ड को पूरी तरह से नज़रंदाज़ किया है। मीडिया में भी इस तरह की कोई ख़बर नही दिखाई जा रही है। वहीँ यदि आज हिंदुस्तान में किसी एक मुस्लिम को कुछ बोल भी दिया जाए तो भारत की पूरी सरकार उसको समर्थन देने में लग जायेगी।

यदि भारत सरकार ने इस पर ध्यान नही दिया तो भारत में गृह युद्घ होने से कोई नही रोक सकता। मेरी भारत सरकार से यह मांग है की पकिस्तान में रह रहे हिन्दुओं ओर सिखों की रक्षा के लिए शीघ्र कोई ठोस कदम उठाए एवं पाकिस्तान से भारतीय एम्बेसी को ओर भारत से पाकिस्तानी एम्बेसी को बंद करे।

यदि यह नही किया गया तो जल्द ही पूरे भारत में पुनः गोधरा काण्ड होने की संभावना है। विश्व हिंदू वामशक्ति ने अभी तो सिर्फ़ पुतले जलाये हैं अगर हिन्दुओं की रक्षा नही की गई तो पूरे देश में यह एक उग्र आन्दोलन शुरू कर देगी।

मेरी भारत देश के हिंदू नौजवानों से भी यह आग्रह है की पढ़लिख कर अपने धर्म से विमुख न हो। बल्कि अपने ज्ञान को अपने देश और धर्म की रक्षा के लिए इस्तेमाल करें।

पाकिस्तानी राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री का पुतला फूंका

विश्व हिन्दू वामा शक्ति व गुरुनाथ अखाड़ा के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को पाकिस्तान में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में पाकिस्तान के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री का पुतला फूंका। स्थानीय काली मंदिर से कार्यकर्ता जुलूस निकालकर नारेबाजी करते हुए शहर के पोस्ट आफिस चौक पहुंचे, जहां पाकिस्तानी राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री का पुतला फूंका गया। इस मौके पर उपस्थित लोगों को वामाशक्ति के महामंत्री दीपक श्रीवास्तव व अखाड़ा के महामंत्री सेवक सौरभनाथ ने संबोधित किया। इनलोगों ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर अत्याचार किय जा रहा है, जो घोर निंदनीय है। वहां के अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के प्रति पाकिस्तान सरकार कुछ नहीं कर रही है। इस अत्याचार से त्रस्त हिन्दू व सिख परिवार वहां से पलायन कर रहे हैं। इनलोगों ने केन्द्र सरकार से इस संबंध में ठोस कदम उठाते हुए पाकिस्तान से बात करने की मांग की। मौके पर मुकेश गुप्ता, भोला साह, भुवनेश्वर साह, शंभू साह, ताराचंद कुमार, कृष्णा राउत, संजीत मिश्रा आदि मौजूद थे।

Tuesday, August 25, 2009

हिन्दी को सभी विद्यालयों में अनिवार्य करने के सिबल के प्रस्ताव को जगतगुरु की ओर से बधाई

सिबल द्वारा घोषित इस प्रस्ताव की मैं हार्दिक प्रशंशा करता हूँ। (http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/4930802.cms)
भारत के सभी विद्यालयों में हिन्दी भाषा को अनिवार्य करने के इस प्रस्ताव को जल्दी से जल्दी लागु करना चाहिए। जिस प्रकार हम लोगों ने अंग्रेजी भाषा को सीख़ कर विश्व की सभी तकनीकियों और रिसर्च को जाना। उसी प्रकार अब भारत को सभी नई खोज हिन्दी में करनी चाहिए ताकि पूरे विश्व में हिन्दी भाषा को जानना लोगों के लिए अनिवार्य हो जाए। इस प्रकार हिन्दी भाषा जो सभी भाषाओँ की जननी है लुप्त होने से बच जायेगी। और ३०० साल पुरानी यह वैदिक संस्कृति पुनः विश्व भर में प्रचलित हो जायेगी।
ऐसा करने से भारत की स्थिति पूरे विश्व में स्वतंत्र और आत्मनिर्भर हो जायेगी
मैं सिबल जी को यह भी कहना चाहूँगा की इस निर्णय के खिलाफ बहुत सारे लोग अपने विचार व्यक्त करेंगे। उनमें से कुछ क्षेत्रीय भाषा को ले कर तो कुछ अन्य सम्प्रदाओं को ले कर बहस करेंगे। परन्तु यदि हम भारत को एक जुट रखना चाहते है तो हिन्दी को अनिवार्य करना अति आवश्यक है।

Wednesday, July 22, 2009

गुरुनाथ अखाडा द्वारा साधुओं के लिए आश्रम की भूमि पूजा बिहार सरकार को रास नही आई... .

वर्ष १९८७ में मुझे रक्सौल के खेखारिया ग्राम में जमीन दान में मिली। मैंने १५ जुलाई २००९ को यह जमीन गुरुनाथ अखाडा के लिए साधुओं का आश्रम बनवाने के लक्ष्य एवं वहा स्थित पुराने हनुमान मन्दिर और माईमन्दिर के पुनः निर्माण हेतु भूमि की पूजा संपन्न की.
इस पर वहा के अल्पसंख्यक मुस्लिम लोगों को यह बात रास नही आई। और अखाडा के सामने जो सरकारी आम रास्ता है उस भूमि को कब्रगाह की भूमि बता कर गुरुनाथ अखाडा की जमीन पर प्रशाशन की ओरसे धारा १४४ लगवा दिया गया ।
जबकि उस सरकारी जमीन पर बाबा गोपालदास की समाधी मौजूद है। और एक कोने पर ब्रहम स्थान (पीपल का बहुत बड़ा वृक्ष) है। और इस वृक्ष के जड़ में भगवान् शिव का शिवलिंग पहले से ही स्थापित है। इसके बावजूद भी मुसलमानों को खुश करने के लिए सरकार उस जमीन को कब्रगाह घोषित करने जा रही है। जबकि उसी गाव में पहले से ही मुसलमानों का एक बड़ा कब्रगाह मौजू है।
मुस्लिम कानून में यह जिक्र है की मुसलमानों का कब्रगाह वहीँ बन सकता है जहा पर किसी मुसलमान ने भूमि दान दी हो अथवा उस भूमि को कब्रगाह बनाने के लिए ख़रीदा गया हो।
इस क़ानून को जानते हुए भी सरकार इस सरकारी जमीन पर कब्रगाह बनाने की घोषणा कर रही है।
इसलिए मेरी भारत एवं बिहार सरकार से यह मांग है की इस मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाया जाए। वरना यह पूरे देश में एक विषम समस्या के रूप में सामने आएगा।
आम हिंदू भक्तो से मेरा अनुरोध है की इस आश्रम को बनाने में तन, मन एवं धन से पूरा सहयोग दें।

हिन्दुओं पर पाकिस्तान में जाजिया टैक्स और मुसलमानों को हिंदुस्तान में विशेष छुट !!!

विश्व हिंदू वामा शक्ति एवं गुरुनाथ अखाडा की बैठक में सभी कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान में तालिबानी फरमान जिसमें हिन्दुओं पर जाजिया टैक्स लागु किया गया है उसको दुर्भाग्यपूर्ण बताया। इस स्थिति को लाने के लिए स्वयं भारत की सरकार जिम्मेदार है।
जब पाकिस्तान में हिन्दुओं के खिलाफ कुछ भी होता है तो वहां की सरकार हिन्दुओं के लिए कुछ नही करती, परन्तु भारत में यदि एक आतंकवादी मुस्लिम को यदि कुछ किया जाए तो पूरे विश्व के मुस्लिम देश इसका विरोध करने लगते हैं। और विडम्बना यह है की हमारी सरकार भी वोट निति के तहत मुस्लिम वोटों के लालच में कुछ नही कर पाती और उनका साथ देती है।
विश्व में एक मात्र हिन्दुओं का सबसे बड़ा देश भारत है। यदि यह देश भी विश्व में हिन्दुओं की समस्याओं के प्रति आवाज़ न उठाये तो हिन्दुओं के लिए कौन लडेगा?
मैं भारत सरकार से कहना चाहता हूँ की पाकिस्तान में जो हिन्दुओं के ऊपर अत्याचार हो रहा है उसको रोकने के लिए उचित कदम जल्द से जल्द उठाये। यदि पाकिस्तान हिन्दुओं पर टैक्स लगाने के अपने विचार को रद्द नही करता है तो भारत सरकार को भी भारत में रहने वाले सभी मुसलमानों पर टैक्स लगा देना चाहिए। इस से पूरे विश्व के मुस्लिम देशों में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार का विरोध होगा।

Friday, July 17, 2009

विराट साधू महासंगम संपन्न - गुरुनाथ अखाडा

७ जुलाई को गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष में हर साल की तरह इस साल भी सुबह ७ बजे से १ बजे तक
दीक्षा समारोह संपन्न हुआ। जिस में भार
त, नेपाल के कोने कोने से भक्त जनों ने उल्लासपूर्वक इस साधू महासंगम में अपने गुरु की आराधना कर के सफल बनाया।
करीब १०० नए श्रधालुओं ने वाम मार्ग की दीक्षा मुझसे प्राप्त की। हजारों भक्तों ने अपनी श्रद्धाभावना से अपने गुरु की पूजा अर्चना की।मैंने भी अपने गुरु महाकाल की पूजा सर्वप्रथम करके अपने शिष्यों के साथ गुरु पूर्णिमा के समारोह का शुभारम्भ किया।
दोपहर १ बजे
के उपरांत जब सभी शिष्यों को प्रसाद वितरण हो गया तब रक्सौल नगर में सेवक संजयनाथ तांत्रिक काली मन्दिर से मेरी शाही यात्रा निकली। हजारों की संख्या में भक्तो, साधुओं तथा गुरुनाथ अखाडा के संतों ने इस जुलूस में हिस्सा लिया। साध्वियों और संयासिनियों की भी भीड़ कुछ कम न थी। नगर परिक्रमा के बाद पुनः जुलूस वापस काली मन्दिर शाम ५ बजे तक पहुँचा।
जिसके पश्चात् सनातन धर्मं संसद की बैठक संपन्न हुई। इस बैठक की अगुवाई करते हुए मैंने हिंदू धर्मं के हित में कई विषयों पर अपने समूह के साथ चर्चा की। सर्व सहमती से हमने ७ प्रस्तावों को मुख्यतः पारित किया:
१> नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाना एवं राजा को पुनः नेपाल की गद्दी पर स्थापित करना।
२> गौ तस्करी एवं हत्या पर अंकुश लगना।
३> कैलाश मानसरोवर पर जाने के लिए हिन्दुओं को सरकार द्वारा सुविधा प्राप्त करवाने की मांग करना। ४> दिल्ली, मुंबई में स्थित इंडिया गेट अथवा गेटवे ऑफ़ इंडिया का नाम "भारत द्वार" रखने की मांग करना।
५> साधू संतो पर हो रहे अत्याचार को बंद करवाना।
६> धर्मान्तरण (धर्म परिवर्तन ) पर प्रतिबन्ध लगना।
७> भारत को सिर्फ़ भारत नाम से पुकारने की मांग करना।

एवं सनातन धर्म संसद में सेवक पंकज नाथ को महारास्त्र में गुरुनाथ अखाडा का प्रभारी बनाया गया।

Saturday, July 04, 2009

समलैंगिकता को वैध ठहराना - प्रकृति के नियम का विरोध करना

समलैंगिकता को मान्यता देने के निर्णय का मैं, विश्व हिंदू वामा शक्ति एवं गुरुनाथ अखाडा सभी विरोध करते हैं। क्योंकि जब भी मनुष्य प्रकृति के विरुद्ध कार्य करता है उसका बहुत दुसपरिणाम होता है। जब आम मनुष्यों में मैथुन को मुक्त कर दिया गया यानि की एक से अधिक स्त्री या पुरूष के साथ मैथुन करना जब सही माना जाने लगा तब विश्व को इसके परिणाम के तौर पर ऐड्स जैसी जानलेवा बीमारी के प्रभाव झेलने पड़े। इसी प्रकार अप्राकृतिक मैथुन करना ऐड्स से भी बड़ी बीमारी को साक्षात् दावत देने के सामान है।
आज लड़कियों और लड़को की अधिक उम्र में शादी होने की वजह से वह लंबे समय तक अप्राकृतिक मैथुन करने में लगे रहते हैं। जिसका परिणाम कई प्रकार के गुप्त रोग और पुरुषों में सबसे अधिक नामर्दी होना है। जितने भी महिला या पुरूष समलैंगिक होते हैं उनके पीछे कुछ वैज्ञानिक और मेडिकल कारण होते हैं।
जो लोग समलैंगिक सम्बन्ध एक बार बना लेते हैं फ़िर ऐसे लोगो को विपरीत लिंग के साथ आनंद
नही मिलता। इसलिए जिस प्रकार एक दो बार नशा करने वाला व्यक्ति जब नशे का आदि बन जाता है उसी प्रकार समलैंगिक सम्बन्ध रखने वाले लोगों को भी इसकी आदत पड़ जाती है।
इसलिए मेरी जनता से यह अपील है की समलैंगिकता को बढ़ावा न दें। अन्यथा इस श्रृष्टि का जल्द ही नाश हो जाएगा। इश्वर ने हमें श्रृष्टि को चलाने के लिए बनाया है ना की सिर्फ़ अपने आनंद के लिए।
मैं सरकार से यह अपील करता हूँ की जब सरकार समलैंगिकता को अपराध नही मानती है तो उसे भ्रू हत्या को भी अपराध नही मानना चाहिए। क्योंकि मेरे विचार से जब समलैंगिक लोग सम्बन्ध बना कर प्रकृति के नियम का उलंघन करते है, अपने श्रृष्टि को चलाने के अधिकार को सिर्फ़ आनंद के लिए बरबाद कर देते हैं तो यह भी एक प्रकार की भ्रू हत्या ही है।

Saturday, June 27, 2009

भारतीय संस्कृति को बचाना भी भारत सरकार का प्रथम कार्य - जगतगुरु वामचार्य

मैं सभी प्रकार के उन संस्थाओं का आदर करता हूँ जो भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए पहल करते हैं। मेरा भी सरकार से कहना है, की हर देश की एक पहचान होती है, जो उसकी संस्कृति कहलाती है। लेकिन यह भारत का दुर्भाग्य है की भारतीय लोग अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैऔर दुसरे देशों की संस्कृति को अपनाने में अपना सम्मान महसूस कर रहे हैं। इसका दूरगामी परिणाम बहुत ही बुरा होगा।
मेरा कहना है की गुलामी का मतलब सिर्फ़ यह नही है की कोई दूसरा देश ही आप पर आ कर राज़ करे, यदि कोई किसी दुसरे राष्ट्र की वेश भूषा, भाषा इत्यादि को अपने देश की भाषा और वेश भूषा पर हावी होने दे तो यह भी एक प्रकार की गुलामी ही है। जो की किसी राष्ट्र के राजनितिक गुलामी से भी अधिक खतरनाक है। इस तरह की गुलामी तो एक देश की संस्कृति को इतिहास बना देती है।
इसका जीता जागता प्रमाण है की पुरानी कई ऐसी सभ्यताएँ हैं जिनकी भाषा को हम भूल चुके हैं जैसे हद्दापन सभ्यता, इन्दुस सभ्यता इत्यादी।
आज विश्व में बहुत से देश हैं जो अपनी भाषा को बचाने के लिए अपने देश के सभी सरकारी कार्य सिर्फ़ अपने ही भाषा में करते हैं। जैसे चीन, जापान, इटली, रशिया इत्यादी। फ़िर क्यों भारत में अंग्रेजो द्वारा पीछे छोड़ दिए गए इस अंग्रेजी भाषा के हम भारतवासी गुलाम बन गए हैं??
मेरा उन सभी वैज्ञानिको तथा ज्ञानियों से यह अनुरोध है की वह अपनी खोज को अपने मात्र भाषा में ही संगठित करे। ऐसा करने से दुसरे देश के लोग उस खोज को जानने के लिए आपकी हिन्दी भाषा को सिखने का प्रयास करेंगे। बिल्कुल उसी तरह जैसे हम भारतियों को पश्चिमी देशो के ज्ञान को जानने के लिए अंग्रेजी सीख कर, उनकी भाषा को महत्वता देना पड़ा।
यदि हम कंप्यूटर तथा सभी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यो को हिन्दी में करें तो भारत में रहने वाले विदेशियों को भी हमारी भाषा सीखनी पड़ेगी। इस प्रकार हिन्दी की महत्वता बढेगी और हमारी संस्कृति लुप्त होने से बच जायेगी।
जब हम भारतवासी जापान जाने से पहले जापानी भाषा सीख कर जाते है, चीन जाने के लिए चीनी भाषा और उनकी संस्कृति जान कर वहां जाते हैं, उसी प्रकार यदि हिन्दी भारत में सरकार की तरफ़ से प्रमुखता पाए तो हमारी भाषा ,जो की सभी भाषाओँ की जननी है देश विदेश में पहचानी जायेगी और भारत को भी पहचान दिलाएगी।
मुझे डर है की जिस प्रकार संस्कृत भाषा आज एक तरह से गुम हो चुकी है कही हिन्दी का भी पश्चमी भाषा के पीछे भागते भागते वही हाल न हो। इसलिए मेरा सरकार से निवेदन है की इस ओर शीग्रता से हिन्दी को बचाने के लिए सम्पूर्ण भारत में नियम लागू करें। हर राज्य में हिन्दी और उस राज्य की क्षेत्रीय भाषा मे ही सभी सरकारी कार्यों को करने का नियम लागू करें।

साथ ही साथ सरकार को सभी राष्ट्रीय कार्यालयों एवं प्राइवेट लिमिटेड सेक्टर्स, विद्यालय, महाविद्यालय या कोई भी सार्वजनिक सेक्टर के कार्यालयों में भारतीय परिधान में ही आना अनिवार्य करना चाहिए। जींस, पेंट , टॉप, सभी प्रकार के पश्चिमी परिधान पहनना इन जगहों पर पुरूष तथा स्त्रियों दोनों के लिए ही निलंबित कर देना चाहिए। जिस प्रकार भारतीय विमान सेवा में कार्यरत महिलाएं साड़ी में ही अपना कार्य करती है, उसी प्रकार सभी विमान सेवाओ को भी भारतीय परिभुषा का पालन करना चाहिए। जिस प्रकार भारतीय सेना में सभी जाती, धर्म के लोग वेशभूषा में एक ही नियम का पालन करते है, भारतीय क्रिकेट टीम जब कही भी खेलने जाती है तो भारत को नीले परिधान से ही पूरे विश्व में प्रस्तुत करती है। उसी प्रकार बाकि के सरकारी कार्यालयों, विद्यालयों, महा विद्यालयों में भी भारतीय परिभुषा को अपनाना एक नियम होना चाहिए।

केन्द्र सरकार की नई शिक्षा नीति सराहनीय- जगतगुरु वामचार्य

केन्द्र सरकार की भारत की शिक्षा नीति को बदलने के इस प्रयास की मैं सराहना करता हूँ। दसवीं कक्षा से बोर्ड की परीक्षा को हटाने के सुझाव बहुत अच्छा कदम है। जब डिग्री मिलने के बाद भी नौकरी के लिए बच्चो को फ़िर से कई परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है तो फ़िर आजकल डिग्री के लिए बोर्ड परीक्षा का महत्त्व ही नही रह गया है। दसवी की परीक्षा तो पूर्व काल में महत्वपूर्ण थी जब उसके मार्क्स को देख कर ही नौकरी मिल जाया करती थी।
यहाँ पर मैं शिक्षा मंत्री जी का ध्यान एक और कार्य की तरफ़ आकृष्ट करना चाहता हूँ।
आजकल कई विद्यालय अपने यहाँ २००० -३००० विद्यार्थियों का दसवी कक्षा के लिए नामांकन करते
हैं परन्तु उनके पास इतने बच्चो को शिक्षा देने के लिए उचित शिक्षक नही होते तथा क्लास और जरुरत की सुविधा नही होती हैं। मेरा सरकार से यह निवेदन है की ऐसी संस्थाओ पर ध्यान दें जो बच्चो के जीवन के साथ खिलवाड़ करते हुए अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं।
सरकार को ट्रस्ट तथा खैराती संस्थाओं द्वारा चलाये जाने वाले सभी विद्यालयों को आसानी से सी बी एस ई से नामांकन देना चाहिए। इस से इन संस्थाओं का मनोबल बढेगा तथा समाज के लिए वह कार्य करने में उत्साहित होंगे। जो सरकारी बाबु इन सस्थाओं को सीबीऍसई से मान्यता प्राप्त करवाने हेतु घूसखोरी करते हैं उन सभी पर रोक लगा दी जाए। तथा सरकार यदि ट्रस्ट चालित विद्यालयों को अपने अधिनस्त कर ले तो ऐसा करने से भ्रष्ट शिक्षा माफियों का बोलबाला कम हो सकेगा। सरकार ट्रस्ट को विद्यालय के लिए एक कमिटी बनाने दे परन्तु शिक्षको की तनख्वा , बच्चो की फीस , परीक्षा को कराने का कार्य सब सरकार तय करे।
साथ ही साथ मेरा यह भी कहना है की विद्यालय खोलने हेतु जो यह नियम है की कम से कम २ एकड़ जमीन होनी ही चाहिए इस नियम को शहरो के लिए कम कर देना चाहिए। यह सुझाव इसलिए दे रहा हूँ ताकि हम शिक्षा को कम से कम खर्च में भारत की गरीब से गरीब और अमीर से अमीर जनता तक बिना किसी आर्थिक परेशानी के पहुँचा सके।
किसी भी देश की उन्नत्ति शिक्षा के ही बल से होती है। इसलिए सरकार से मेरा निवेदन है की भारत के कोने कोने में शिक्षा को सरल एवं सस्ता बनाने का प्रयास करे।

Tuesday, June 23, 2009

भाकपा,माओवादी पर सरकार का प्रतिबन्ध उचित - जगतगुरु वामाचार्य

केन्द्र सरकार द्वारा भाकपा तथा माओवादी संगठन को आतंकवादी संगठन घोषि कर प्रतिबन्ध लगाने का विश्व हिंदू वामा शक्ति ने स्वागत करते हुए सरकार को बधाई दी है। वहीं जगतगुरु वामचार्य सेवक संजय नाथ ने भी सरकार को बधाई देते हुए कहा की केन्द्र सरकार का यह निरणय देश हित में है जिससे भारत सरकार ने चीन को मुह तोड़ जवाब दिया है।
जगतगुरु ने कहा की भारत में अगर इन चीनी आतंकवादियों को जड़ से समाप्त करना है तो भारत को पड़ोसी देश नेपाल से भी नेपाल सरकार के सहयोग से नेपाली मओवादिओं को खात्मा करने की पहल करनी होगी। क्योकि भारत में अशांति फैलाने के लिए नेपाल में ही माओवादियों को प्रशिक्षण दिया जाता है और नेपाल से भारत भेजा जाता है।
इसलिए अगर भारत को पूर्ण माओवादियों से सुरक्षित होना है तो नेपाल के माओवादियों पर भी अंकुश लगाने की पहल नेपाल सरकार से करनी होगी।

Sunday, June 21, 2009

भारत के खिलाफ चाइना की बड़ी शाजिश- नेपाल एक मोहरा

लालगढ़ में सुरक्षाबलों की माओवादियों पर फतह एक बहुत बड़ी कामयाबी है। इस कामयाबी की प्रशंशा करते हुए जगतगुरु वामचार्य सेवक संजयनाथ ने केन्द्र सरकार के इस निर्णय को सराहा तथा केन्द्र सरकार से यह भी निवेदन किया है की भारत में कई और ऐसे राज्य हैं जहाँ नक्सलियों तथा माओवादियों का आतंक मचा हुआ है, इन राज्यों में बिहार, बंगाल, उडीसा तथा उत्तर प्रदेश जैसे राज्य आते है। अतः केन्द्र सरकार को सुरक्षाबल की सहायता से इन आतंकियों का मनोबल गिरा देना चाहिए और इसी प्रकार हरेक राज्य में उनके हमले को कड़ा जवाब देना चाहिए।
जगतगुरु ने सबसे अधिक चिंता नेपाल की स्थिति को देखते हुए जताया। उन्होंने कहा की नेपाल भारत की सीमा पर है। और इन माओवादियों के आतंक से चाइना नेपाल के रास्ते भारत को अशांत करना चाहता है।
उन्होंने सरकार को यह चेतावनी दी है की नेपाल में चाइना के कई जगह माओवादियों के रूप में आतंकवादी कैम्पस जारी है। चाइना की मदद से यह कैम्पस नेपाल में सुरक्षित रूप से अपने आतंकवादी कार्यों को अंजाम दे रहे है। और भारत में हर प्रकार से अशांति फैलाने की कोशिश लगे हुए है।
इस षडयंत्र की शुरुआत चाइना ने काफी वर्षो पहले ही कर दी थी। जिसका जीता जगता उदहारण नेपाल में माओवादियों के माध्यम से क्रांति कर नेपाल के राजा के प्रति लोगों में घृणा उत्पन करके , राजा की सत्ता को ख़त्म कर देना था।
चाइना यह जानता था की जब तक नेपाल में हिंदू राजा का राज्य रहेगा तब तक नेपाल में उनकी कम्युनिस्ट विचारधारा को बढावा नही मिल पायेगा। इसलिए माओवादियों की सहायता से चाइना ने पहले नेपाल से हिंदू राजा की सत्ता को हटा कर उसे धर्म निरपेक्ष राज्य बनाने का ढोंग रचा। इस कार्य में चाइना सफल हुआ। जिसका प्रभाव भारत और नेपाल दोनों ही राष्ट्रों पर पड़ रहा है। भारत जो की धर्म निरपेक्ष होते हुए भी एक हिंदू प्रधान राष्ट्र है, और नेपाल जो की स्वयं एकमात्र हिंदू राष्ट्र था , दोनों के बीच सदा से ही भाई चारा रहा है। नेपाल और भारत में किसी प्रकार की कोई अनबन नही रही है। भारत ने भी सदा नेपाल को आर्थिक रूप से सहायता प्रदान की है.
इस भाई चारे को तोड़ने करने के लिए चाइना की नेपाल से हिंदू धर्म को हटाने की साजिश सदा से रही और आज वह कामयाब हो चुका है।
इस स्थिति को याद दिलाते हुए जगतगुरु ने भारत सरकार से नेपाल में पुनः राजा की सरकार को वापस लाने के लिए कदम बढ़ाने की मांग की है। अन्यथा उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है की ऐसा यदि नही हुआ तो नेपाल सिर्फ़ कहने को ही नेपाल रह जाएगा, परन्तु वहां माओवादी सरकार की सुरक्षा तहत चाइना अपने भारत के खिलाफ मंसूबों को अंजाम देने में सफल होता रहेगा।

Tuesday, June 09, 2009

गाय हत्या एवं तस्करी पर रोक लगाने के लिए वामा शक्ति का ज्ञापन:


दिनांक ९/६/०९ को विश्व हिंदू वामा शक्ति के सैकडो कार्यकर्ता जुलूस निकाल कर नगर भ्रमण करते हुए रक्सौल अनुमंडल कार्यालय पहुंचे। वहां पहुँच कर जुलूस एक सभा में तब्दील हो गई। सभा को संबोधित करने वाले श्री चंद्र शेखर भारती, दीपक श्रीवास्तव, अजय कुमार चौरसिया, विनोद कुमार, रोहित शर्मा, रुपेश कुमार,नवीन कुमार, जय किशन सर्राफ, रुद्र गिरी आदि ने अपने अपने बात को रखा।
जिसमें बाल सन्यासी सेवक सौरभ नाथ ने कहा की आज बिहार में भाजपा गढ़बंधन की सरकार है। तब भी बिहार में अभी तक गौ हत्या पर रोक नही लग पाई। इस से यह सिद्ध होता है की सभी राजनितिक दल सिर्फ़ अपनी सत्ता के लिए हिन्दुओं को गुमराह करते है। यदि सरकार ने गौ हत्या के खिलाफ कोई सख्त कदम नही उठाया तो विश्व हिंदू वामा शक्ति पूरे बिहार में आन्दोलन करेगी।
सेवक संजय नाथ ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा की जब शेर, चीता, हाथी, हिरन, मोर जैसे पशुओं और पक्षियों की हत्या पर सरकार ने रोक लगा रखी है। इन पशुओं से आम आदमी का कोई लेना देना नही है। फ़िर भी सरकार करोड़ों रुपये इनकी रक्षा में सालाना खर्च करती है। फ़िर क्यों उस गाय की रक्षा की तरफ़ सरकार का ध्यान नही है जो आम आदमी को दूध, दही, घी, खाद एवं जलावन हेतु कंडे उपलब्ध कराती है। इस से तो सिर्फ़ येही सिद्ध होता है की कुछ मुस्लिम वोटों के लोभ में सभी राजनितिक दल इस मुद्दे को नज़र अंदाज़ कर रहे है।
सभा के समाप्ति के बाद प्रतिनिधि मंडल ने रक्सौल के अनुमंडल प्राधिकारी को ज्ञापन देते हुए गाय की हत्या एवं तस्करी सम्बंधित कार्यों पर रोक लगाने की मांग की।
इस पर रक्सौल अनुमंडल अधिकारी ने इस मुद्दे की महत्वता को देखते हुए फ़ौरन जांच हेतु आदेश दे दिए हैं।

विश्व हिंदू वामा शक्ति इस मुद्दे पर प्रशाशान का ध्यान आकृष्ट करा कर जल्द ही गौ हत्या जैसे घ्रणित कार्य को बिहार में सदा के लिए बंद करना चाहती है.

Sunday, June 07, 2009

भारतीय हिंदू छात्रों पर आस्ट्रेलियन ईसाईयों का अत्याचार

विश्व हिंदू वामा शक्ति के द्वारा ५ जून २००९ को ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री का पुतला फूंका गया। इसमें राष्ट्रीय महामंत्री दीपक श्रीवास्तव ने भारत के प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंग से ऑस्ट्रेलिया में प्रताडित भारतीय हिंदू छात्रों पर हो रहे हमले के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की मांग की। उन्होंने सरकार को इस बात पर ध्यान देने को कहा की ऑस्ट्रेलिया में भी सिर्फ़ भारतीय हिंदू या मुस्लिम छात्रों पर ही हमले हो रहे हैं। इसाई हिंदू छात्रों पर किसी प्रकार का कोई हमला या प्रताड़ना देने की ख़बर नही है।
यह सिद्ध करता है की ऑस्ट्रेलिया में भारतियों से कोई कष्ट नही है, यह तो सिर्फ़ हिंदू और इसाइयों की लडाई है।
जिन हिन्दुओं से वहां करोडो की आमदनी है उन हिन्दुओं पर इतना अत्याचार!!!
और दुःख की बात यह है की भारतीय मीडिया इस बात को हिन्दुओं के लिए ना कह कर इंडियन अत्याचार की बात कहती है। ऑस्ट्रेलिया में भी तो यह हिंदू छात्र अल्प संख्यक है। फ़िर क्यों जब भारत में किसी भी मुस्लिम या इसाई धर्म पर होने वाले एक भी कांड को मीडिया इतनी महत्वता देती है। और क्यों हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार को एक देश का मुद्दा बना कर इसे छुपाया जा रहा है??
वहीं पर अंतर्राष्ट्रीय महा मंत्री चंद्रशेखर भारती ने कहा यह मांग की की या तो भारत को ऑस्ट्रेलिया से सभी हिंदू संप्रदाय की और से एक माफीनामा माँगना चाहिए अथवा सभी हिंदू भारतियों को ऑस्ट्रेलिया से वापसबुला कर इस घटना का विरोध करना चाहिए। ताकि भविष्य में किसी दुसरे देश में भारतीय हिन्दुओं पर इस तरह का अत्याचार दुबारा न हो सके।
विश्व हिंदू वामा शक्ति ने श्री अमिताभ बच्चन जी की सराहना करते हुए कहा की आस्ट्रेलियन सम्मान को इनकार कर के उन्होंने यह सिद्ध किया की वह एक सच्चे भारतीय नागरिक हैं।

Thursday, May 14, 2009

Nepal Revolution - 2008

There are many countries that follow a single religion as Christianity or Islam all over the world. None of the authorities ask them to become secular. India is already a secular country. The only country which was following Hinduism was Nepal. But the Koirala government was influenced by American, Pakistani and Chinese power to convert the single Hindu nation to a secular country.

In spite of the fact that Nepal consist of 98% Hindu community, the Maoists and the so called Nepal Government forced to remove the Dynasty rule from Nepal and in year 2006 Nepal was declared as a secular country. This was again a stroke to Hinduism from Christianity and Islam, but unfortunately none of the Hindu propagating groups could do anything to stop this mishap. 90% Nepalese community still want the King to rule the country but due to foreign interventions these Hindu people are being killed secretly and no news of these kinds of acts are being shown by the media. When the King was ruling Nepal, the nation was developing and there were no sign of corruption, terror and violence in the country. But all the supreme rulers became successful to ruin the peace and prosperity of the nation.
It was really very sad that India being a Hindu origin country did not retaliate due to its mere adulation politics. Gurunath Akhada then tried to convince many Hinduism oriented organizations to take actions against act. But the effort was futile.



Then Gurunath Akhada started its wing as Vishwa Hindu Vama Shakti in year 2006 to take substantial action regarding the conversion of the Hindu nation, Nepal to a secular country. The Vishwa Hindu Vama Shakti was headed by myself, Jagatguru Sewak Sanjaynath, a life time Hindu Activist also. The monastery started its revolution in cites of Nepal by conducting rallies and general meetings. They tried to take the opinion of the citizens of Nepal on this change and helped them to voice against this influenced decision of the Nepalese government and foreign bodies. But unfortunately the Maoists and the communist’s parties of Nepal tried to suppress this revolution. The illiterate and poor population of Nepal was tempted by the government to support secularism by saying that if Nepal becomes secular, they will get funds from the US and China. But this never happened. When the people of Nepal started reacting against this they were secretly tortured by the Maoists and the current Nepal Government.
Then I started an aggressive revolt at the Indo-Nepal Border, Shankaracharya Gate along with the Saints of Gurunath Akhada. The revolt started on 25th January 2008. Before starting the revolt I took a pledge of not entering the Nepal borders until Nepal again becomes a complete Hindu Nation. I myself sat at the border by initiating an indefinite strike against the conversion of a Hindu Nation to a secular country. Every day the Nepal government used to come to the border and arrest the saints who were participating in the revolution. All the poor Hindus who were supporting the revolt were tortured by the Maoists volunteers. Soon the weak mob started backing out from the revolution. I observed that due to this aggressive mutiny many saints were hurt, tortured and even a few died also.
I was also defamed as a terrorist by the Maoists in Nepal.I was blamed as the chief defence operator of Nepal Defence Army by the Maoists. And for the first time the Hindu saints were not allowed to participate in the Shivaratri festival at Pashupatinath Temple at Kathmandu. After all this allegations I decided to sacrifice my life for the sake of all Hindus and saints. The motive behind my decision was to stop the tortures by Maoists towards weak Hindus and saints. Also I wanted to sacrifice my life so that the dormant public gets motivated and may be the Maoists change their mind.
Hence I announced to take Samadhi on 25th February 2008. This decision agitated the Indian and Nepal government. All the followers and Hindus became disturbed by the Samadhi decision. I ordered my followers to dig the Samadhi ground at Indo-Nepal Border, Shankaracharya Gate. On 25th February 2008 a huge crowd of supporters were gathered at the Indo-Nepal Border to stop there Jagatguru from taking the Samadhi. The Nepali Police forced me to stop this act. The crowd of more than 50,000 people became aggressive and many of the followers decided to take Samadhi along with the Jagatguru. In order to control the situation Nepal Police started firing sessions in which above 200 rounds of bullets where shot. Many saints were hurt by the Nepalese Police.

During the Kings rule the saints and sages were worshipped in Nepal and this was for the first time in the history of Nepal that the Nepal Police had killed the saints and sages. The issue became uncontrolled and after continuous six hours of firing finally the Nepal Police arrested me to stop from taking Samadhi. They took me to the SP Office at Birganj, Nepal. The Indian government sent the SP, Mr Sunil Jha and DM, Mr. Jeevan Kumar Sinha to the Raxaul embassy. Within three hours the Indian Government ordered the Nepal Police to leave me. The DSP and the SDM Raxaul went to the SP office Birganj and I returned with them with all respect and dignity.
This action taken by me motivated the Nepali Hindus to come against the Maoists. And as the after effects of this revolution now the Nepalese are united together to remove the weak and foreign influenced government of Nepal and bring back the King’s rule again for a prosperous Hindu nation.

About Vishwa Hindu Vama Shakti

OBJECTIVE OF VHVS:

The main objective of this organization is to unite Hindu's from all over the world. We are huge in number but since we are diversified into small small communities, which are based on various sects, we are not able to come to one consensus. And hence we are unable to fight against the attacks which is constantly ruining the tradition and foundation of HInduism.

HOW DID VHVS STARTED:

Sewak Sanjaynath initially was a member of Juna Akhada (Group of Saints). But there he saw that all the saints were divided on the basis of groups (akhada) like bairagi,radha krishna,udasi,aawahan,agni,digambara akhada, vam marg,vaishnav marg,nirmohi and shaiv marg. They termed themselves as Hindus but were divided on the basis of the Gods and the groups they followed. Unhappy with these kinds of discriminations,Based on religious differences, he decided to start a new Akhada named as Gurunath Akhada, which was a single platform for all categories of saints and groups.
Gurunath Akhada started its wing as Vishwa Hindu Vama Shakti in year 2006 to take substantial action regarding the conversion of the Hindu nation, Nepal to a secular country.