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Thursday, October 29, 2009

गुरुनाथ अखाडा का शाही स्नान २-११-२००९ को


विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र के कार्तिक पूणिमा के स्नान में अखाडा के हजारो साधू संत भाग लेगे इस स्नान में सर्व प्रथम जगतगुरु वामचार्य स्नान करेगे इसके बाद सभी साधू संत स्नान करेगे इसके बाद अखाडा का सनातन धर्म संसद होगा जिसमे नीतिश सरकार के मुस्लिम तुस्टीकरण निति का बिरोध एवं हिन्दुओ को अपने अधिकार के लिए आगे आने का आवाहन किया जाएगा

विश्व मगल गो ग्राम यात्रा को संबोधित करते हुए जगतगुरु वामचार्य











सभा को संबोधित करते हुए जगतगुरु वामचार्य ने कहा की गौ माता हमारी जन्म देने वाली माता से भी बड़ी है।
हमारी माँ हमें दो से तीन साल तक के उम्र तक अपना दूध पीलाकर पालती है लेकिन वही गौ माता हमे बचपन से ले कर जीवन के अन्तिम समय तक अपने दूध को पिलाती है।
उन्होंने कहा की गौ माता हमारे जन्म देने वाली माँ से भी बड़ी है फ़िर भी हम अपनी जन्म देने माँ को अंत समय तक सेवा करते है तथा अंत में मरने के बाद हम उनकी दाहसंस्कार कर भोज का आयोजन करते है एवं उनके नाम पर दान पुण्य करते है जब की गौ माता जब तक हमे दूध पिलाती है तब तक हम उनकी सेवा करते है लेकिन जैसे ही वह दूध देना बंद कर देती है वह हमारे लिए बोझ बन जाती है और हम उसे एक निरदयी के सामान कसाई के हाथो बेच देते है जो कसाई लेजाकर उसकी हत्या कर देता है।
जगतगुरु ने कहा की भारत में गौ माता की सुरक्षा तभी किया जा सकता है जब भारत के सभी हिंदू अपनी माता के सामान गौ माता की सेवा करे।
जगतगुरु ने मुस्लिम कौम से भी कहा की आप सब में दूध का और महत्व है फ़िर भी आप लोग गौ माता का खून क्यो करते है?
जगतगुरु ने मुस्लिमो को भी गौ माता की सेवा हेतु आगे आने को कहा एवं भारत सरकार से भी गौ माता की हत्या न हो इसके लिए नया कानून बनाने पर जोर दिया।

Tuesday, October 20, 2009

राजीव गाँधी, इंदिरा गाँधी प्रतिभा पुरुस्कार समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए जगतगुरु

भारतीय राष्टीय छात्र संगठन रक्सौल ने आज राजीव गाधी एवं इंदिरा गाँधी प्रतिभा समारोह का आयोजन किया, जहाँ पर विशिष्ट अतिथि के रूप में जगतगुरु वामचार्य सेवक संजयनाथ आमंत्रित थे।
उन्होंने अपने संबोधन में छात्रों, अभिवावाको एवं शिक्षको को कहा की आज बिहार की शिक्षा सभी राज्यों की शिक्षा के मुकाबले में बहुत बुरी हालत में है। फ़िर भी बिहार राज्य के छात्र पूरे देश में शिक्षा के छेत्र में अवल्ल हैं। यदि बिहार में शिक्षा निति को और सुधार दिया जाए तो हमारे बिहार के बच्चे पूरे विश्व में अपना नाम रोशन कर देंगे।
जगतगुरु ने बिहार की शिक्षा नीति और शिक्षको, अभिवावाको तथा छात्रों को समझाया की आज की स्थिति ऐसी है की जिन कॉलेज के शिक्षको को ४०-५० हज़ार मासिक तनख्वा मिलती है वह भी कॉलेज में ना पढ़ा कर घर पर टूशन लेते हैं। उन्होंने इसके पीछे अभिवावाको तथा छात्रों को भी दोषी बताया। जब तक अभिवावक टूशन प्रथा के खिलाफ आवाज़ नही उठाएंगे तब तक कॉलेज में पढ़ाई का माहोल कभी नही बन पायेगा।
उन्होंने बच्चो से यह कहा की वे नित्य स्कूल तथा कॉलेज में जा के पढ़ाई करें। यदि शिक्षक पढानेसे मना करते हैं तो प्रिंसिपल से शिकायत करें। और यदि प्रिंसिपल भी कोई सहायता नही करते तो राज्यपाल को शिकायत पत्र भेजें। जब तक छात्र और अभिवावक जागरूक नही होंगे तब तक उनका कार्य सही ढंग से नही हो पायेगा। साथ ही साथ शिक्षको को भी संबोधित करते हुए जगतगुरु ने कहा की जिस कार्य के लिए उन्हें पैसे मिलते है उस कार्य को इमानदारी से करें। यदि आज शिक्षक बच्चो को अपना न समझ कर सही राह नही दिखाएंगे तो कल को स्वयं उनके बच्चे ग़लत राह पर चले जायेंगे।

जगतगुरु वामचार्य ने यह कहा की लोग उन्हे कट्टर हिंदूवादी कहते हैं, परन्तु वह कट्टर देश भक्त हैं। चाहे हिंदू हो या फ़िर मुसलमान जो भी देश के लिए अनहित कार्य करेगा वह जगतगुरु का दुश्मन होगा। जगतगुरु ने आजकी आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर टिप्पणी करते हुए उपनिषद के एक श्लोक को हिन्दी में सुनाया की "जो अविद्या में रत हैं वह तो नरक में जाते हैं परन्तु जो विद्या में रत हैं वह घोर नरक में जाते हैं।"
उन्होंने कहा की जिस विद्या में आत्मज्ञान नही वह बेकार है। जिस विद्या में संस्कार नही वह भी बेकार है। इस बात के समर्थन में उन्होंने राम और रावन का उदहारण देते हुए याद दिलाया की विद्या में श्री राम तथा रावन दोनों ही बहुत ज्ञानी थे। परन्तु राम के पास विद्या के साथ संस्कार भी थे और रावन संस्कार हीन था। राम ने अपनी विद्या का प्रयोग जनहित में किया और रावन ने अपने स्वार्थ के लिए। इसी प्रकार सिर्फ़ विद्या ग्रहण करने से व्यक्ति आगे नही बढ़ता। संस्कार और आत्मज्ञान का होना भी अति आवश्यक है।
अंत में जगतगुरु ने राष्ट्रीय छात्र संगठन के जिला अध्यक्ष श्री अखिलेश दयाल को बधाई देते हुए रक्सौल के कस्तूरबा बालिका उच्च विद्यालय और हजारीमल उच्च विद्यालय के प्रथम तीन बच्चो जिनका रिजल्ट हाई स्कूल में पहले तीन स्थान पर होगा ऐसे ६ बच्चो को अपनी तरफ़ से उनके इंटर की शिक्षा का पूरा खर्च देने की घोषणा की। साथ ही साथ उन्होंने कहा की हर क्षेत्र में उत्तम कार्य करने वालो को सम्मानित करना चाहिए। उन्होंने एस एस बी कमांडेंट श्री लोकेश कुमार सिंह की प्रशंशा करते हुए कहा की उन्होंने तस्करों एवं आतंकवादियों पर अंकुश लगा के रक्सौल बॉर्डर को सुरक्षित किया है। समाज को ऐसे व्यक्तियों को सम्मानित करना चाहिए ताकि अन्य अधिकारी भी अच्छे कार्य की तरफ़ अग्रसित हो। जगतगुरु सेवक संजय्नाथ ने इस साल के पीठाधीश पुरस्कार के लिए एक नाम लोकेश कुमार सिंह का भी चयनित किया.

Monday, October 19, 2009

सभी हिन्दुओं ने मनाया चित्रगुप्त पूजा - काली मन्दिर रक्सौल

सेवक संजयनाथ तांत्रिक काली मंदिर में छठे मंज़िल पर स्थापित विश्व के अद्वितिय भगवान चित्रगुप्त महाराज अपने 12 वंशजो के साथ विराजमान हैं. विश्व के किसी भी मंदिर में श्री चित्रगुप्त महाराज अपने 12 वंश के साथ कही भी मूर्ति रूप में स्थापित नही है।

सेवक संजयनाथ तांत्रिक काली मंदिर में चित्रगुप्त परिवार की इस अलौकिक प्रतिमा की अनोखे ढंग से पूजा की जाती है. चित्रगुप्त महाराज की पूजा पूरे विश्व में सिर्फ़ कायस्थ जाति के लोग ही किया करते हैं परंतु सेवक संजयनाथ तांत्रिक काली मंदिर में समस्त हिंदू धर्म के लोग चित्रगुप्त महाराज की पूजा बड़े चाव से करते हैं.

यह अपने आप में ही एक अद्भुत घटना है। इस मौके पर जगतगुरू वामाचार्या ने सभी हिंदू धर्म प्रेमियों से कहा की भगवान किसी जाति विशेष के नही होते हैं। जो व्यक्ति जिस प्रकार के कार्य करता है उसी के ईष्ट देवता की अराधना भी करता है। जैसे पहले विश्वकर्मा पूजा सिर्फ़ लोहार ओर बड़ई जाति के लोग ही किया करते थे. परंतु आज जो भी लोग फॅक्टरी आदि में काम करते हैं वो सभी बिना जाति को देखते हुए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं।
इसी प्रकार जो भी लोग कलम तथा लेखनी द्वारा अपना जीवन यापन करते हैं उन्हे भगवान चित्रगुप्त महाराज की पूजा अवश्य करनी चाहिए. जो भी बच्चे पढ़ाई में कमजोर हैं उन्हे तो रोज़ ही चित्रगुप्त महाराज की पूजा करनी चाहिए।

साथ ही साथ जगतगुरू ने बताया की यदि पूजा अर्चना जाति विशेष होती तो भीस्म पितामह को इक्षा मृत्यु का वरदान चित्रगुप्त महाराज से कभी ना मिलता। महाभारत के समय भीष्मा पितामह ने क्षत्रिय होते हुए भी चित्रगुप्त भगवान की आराधना की और भगवान चित्रगुप्त ने भी उन्हे इक्षा मृत्यु का वरदान दे कर इस बात की पुष्टि की की पूजा किसी भी जाति विशेष तक सीमित नही होती।

इस पूजा में विश्व हिन्दूवामाशक्ति के कार्याकर्ताओं ने भाग लिया जिसमें किरण शकर, अनिल कुमार सर्राफ़, चंद्रशेखर भारती, संजीत मिश्रा, सेवक सौरभनाथ, श्रीमती बिना सर्राफ़,दीपक श्रीवास्तवा तथा मनीष पाठक ने कलम दवात की विधिवत पूजा की और हवन के बाद सभी भक्तो में प्रसाद वितरण किया गया।