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Tuesday, October 20, 2009

राजीव गाँधी, इंदिरा गाँधी प्रतिभा पुरुस्कार समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए जगतगुरु

भारतीय राष्टीय छात्र संगठन रक्सौल ने आज राजीव गाधी एवं इंदिरा गाँधी प्रतिभा समारोह का आयोजन किया, जहाँ पर विशिष्ट अतिथि के रूप में जगतगुरु वामचार्य सेवक संजयनाथ आमंत्रित थे।
उन्होंने अपने संबोधन में छात्रों, अभिवावाको एवं शिक्षको को कहा की आज बिहार की शिक्षा सभी राज्यों की शिक्षा के मुकाबले में बहुत बुरी हालत में है। फ़िर भी बिहार राज्य के छात्र पूरे देश में शिक्षा के छेत्र में अवल्ल हैं। यदि बिहार में शिक्षा निति को और सुधार दिया जाए तो हमारे बिहार के बच्चे पूरे विश्व में अपना नाम रोशन कर देंगे।
जगतगुरु ने बिहार की शिक्षा नीति और शिक्षको, अभिवावाको तथा छात्रों को समझाया की आज की स्थिति ऐसी है की जिन कॉलेज के शिक्षको को ४०-५० हज़ार मासिक तनख्वा मिलती है वह भी कॉलेज में ना पढ़ा कर घर पर टूशन लेते हैं। उन्होंने इसके पीछे अभिवावाको तथा छात्रों को भी दोषी बताया। जब तक अभिवावक टूशन प्रथा के खिलाफ आवाज़ नही उठाएंगे तब तक कॉलेज में पढ़ाई का माहोल कभी नही बन पायेगा।
उन्होंने बच्चो से यह कहा की वे नित्य स्कूल तथा कॉलेज में जा के पढ़ाई करें। यदि शिक्षक पढानेसे मना करते हैं तो प्रिंसिपल से शिकायत करें। और यदि प्रिंसिपल भी कोई सहायता नही करते तो राज्यपाल को शिकायत पत्र भेजें। जब तक छात्र और अभिवावक जागरूक नही होंगे तब तक उनका कार्य सही ढंग से नही हो पायेगा। साथ ही साथ शिक्षको को भी संबोधित करते हुए जगतगुरु ने कहा की जिस कार्य के लिए उन्हें पैसे मिलते है उस कार्य को इमानदारी से करें। यदि आज शिक्षक बच्चो को अपना न समझ कर सही राह नही दिखाएंगे तो कल को स्वयं उनके बच्चे ग़लत राह पर चले जायेंगे।

जगतगुरु वामचार्य ने यह कहा की लोग उन्हे कट्टर हिंदूवादी कहते हैं, परन्तु वह कट्टर देश भक्त हैं। चाहे हिंदू हो या फ़िर मुसलमान जो भी देश के लिए अनहित कार्य करेगा वह जगतगुरु का दुश्मन होगा। जगतगुरु ने आजकी आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर टिप्पणी करते हुए उपनिषद के एक श्लोक को हिन्दी में सुनाया की "जो अविद्या में रत हैं वह तो नरक में जाते हैं परन्तु जो विद्या में रत हैं वह घोर नरक में जाते हैं।"
उन्होंने कहा की जिस विद्या में आत्मज्ञान नही वह बेकार है। जिस विद्या में संस्कार नही वह भी बेकार है। इस बात के समर्थन में उन्होंने राम और रावन का उदहारण देते हुए याद दिलाया की विद्या में श्री राम तथा रावन दोनों ही बहुत ज्ञानी थे। परन्तु राम के पास विद्या के साथ संस्कार भी थे और रावन संस्कार हीन था। राम ने अपनी विद्या का प्रयोग जनहित में किया और रावन ने अपने स्वार्थ के लिए। इसी प्रकार सिर्फ़ विद्या ग्रहण करने से व्यक्ति आगे नही बढ़ता। संस्कार और आत्मज्ञान का होना भी अति आवश्यक है।
अंत में जगतगुरु ने राष्ट्रीय छात्र संगठन के जिला अध्यक्ष श्री अखिलेश दयाल को बधाई देते हुए रक्सौल के कस्तूरबा बालिका उच्च विद्यालय और हजारीमल उच्च विद्यालय के प्रथम तीन बच्चो जिनका रिजल्ट हाई स्कूल में पहले तीन स्थान पर होगा ऐसे ६ बच्चो को अपनी तरफ़ से उनके इंटर की शिक्षा का पूरा खर्च देने की घोषणा की। साथ ही साथ उन्होंने कहा की हर क्षेत्र में उत्तम कार्य करने वालो को सम्मानित करना चाहिए। उन्होंने एस एस बी कमांडेंट श्री लोकेश कुमार सिंह की प्रशंशा करते हुए कहा की उन्होंने तस्करों एवं आतंकवादियों पर अंकुश लगा के रक्सौल बॉर्डर को सुरक्षित किया है। समाज को ऐसे व्यक्तियों को सम्मानित करना चाहिए ताकि अन्य अधिकारी भी अच्छे कार्य की तरफ़ अग्रसित हो। जगतगुरु सेवक संजय्नाथ ने इस साल के पीठाधीश पुरस्कार के लिए एक नाम लोकेश कुमार सिंह का भी चयनित किया.

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