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Saturday, December 26, 2009

हिंदुत्व की रक्षा हेतु अब साधू संतो का राजनीती में आना अनिवार्य


गुरुनाथ अखाडा के पीठाधीश जगतगुरु वामाचार्य सेवक संजय नाथ ने समस्त भारत के साधू संतो से यह अपील की है की यदि भारत में हिंदुत्व कों बचाना है तो हम सब साधू एक मंच पर आयें एवं बिना किसी स्वार्थ के हिन्दू हित के लिए एक नए राजनितिक दल की स्थापना करें
जिसे हम सब साधू संत अपना हिमायती समझते थे और अपनी पूरी शक्ति उस तथाकथित हिन्दू पार्टी केलिए न्योछावर कर दिया वह एक सबसे बड़ी भूल थी क्योंकि उस पार्टी के कार्यकर्त्ता स्वयं साधू संत नहीं थे। वे सिर्फ साधू संतो कों गुमराह कर अपने निजी स्वार्थ कों पूरा करना चाहते थे। जिसका जीता जगता प्रमाण है भारतीय जानता पार्टी।
जब इनका चुनाव आता है तो राम जन्म भूमि याद पड़ती है और जब ये चुनाव जीत के जाते हैं तो राम की जगह इनको जिन्नाह याद आ जाते हैं। इस से बड़ा धोखा और क्या होगा?
जब यह कहते हैं की जब हमारी सरकार बनेगी तो सर्व प्रथम राम जन्म भूमि पर मंदिर बनेगा और भारत में राम राज्य आएगा लेकिन सरकार बनते ही जब इनकी रथ यात्रा निकलती है तो राम कों भूल कर ये रहीम रूपी अनेक नेताओं कों अपने रथ पर सवार करते हैं।
इसलिए हम हिन्दू एवं साधू संतों कों ऐसे नेताओं से बचना है एवं ऐसी एक राजनितिक दल की स्थापना करनी है जो राम की बात करे और राम राज्य की सही में स्थापना करे।
यह भाजपाई नेता राम के नाम पर जीत कर जाते हैं पर राम का मंदिर नहीं बनवाते। इनसे अच्छी तो कांग्रेस सरकार है जिसने राजीव गाँधी के समय में बिना राम नाम का सहारा लिए राम जन्म भूमि में लगा हुआ ताला खुलवा दिया। वहीँ कांग्रेस की नरसिंघा राव की सरकार में विवादास्पत बाबरी मस्जिद कों गिरा दिया गया।
वहीँ राम जन्म भूमि के नाम पर जीत जाने वाली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार राम जन्म भूमि कों भूल कर फील गुड में लग गयी। जिसका परिणाम स्वयं राम ने भाजपा कों दिखाया और वह आज जग जाहिर है। और राम के सही भक्त कांग्रेस कों फिर से गद्दी पर बिठाया।
इस से सिर्फ यह सिद्ध होता है की भाजपा सिर्फ बोलती है करती नहीं परन्तु कांग्रेस बोलती नहीं है और कर दिखाती है।

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