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Saturday, June 27, 2009

भारतीय संस्कृति को बचाना भी भारत सरकार का प्रथम कार्य - जगतगुरु वामचार्य

मैं सभी प्रकार के उन संस्थाओं का आदर करता हूँ जो भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए पहल करते हैं। मेरा भी सरकार से कहना है, की हर देश की एक पहचान होती है, जो उसकी संस्कृति कहलाती है। लेकिन यह भारत का दुर्भाग्य है की भारतीय लोग अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैऔर दुसरे देशों की संस्कृति को अपनाने में अपना सम्मान महसूस कर रहे हैं। इसका दूरगामी परिणाम बहुत ही बुरा होगा।
मेरा कहना है की गुलामी का मतलब सिर्फ़ यह नही है की कोई दूसरा देश ही आप पर आ कर राज़ करे, यदि कोई किसी दुसरे राष्ट्र की वेश भूषा, भाषा इत्यादि को अपने देश की भाषा और वेश भूषा पर हावी होने दे तो यह भी एक प्रकार की गुलामी ही है। जो की किसी राष्ट्र के राजनितिक गुलामी से भी अधिक खतरनाक है। इस तरह की गुलामी तो एक देश की संस्कृति को इतिहास बना देती है।
इसका जीता जागता प्रमाण है की पुरानी कई ऐसी सभ्यताएँ हैं जिनकी भाषा को हम भूल चुके हैं जैसे हद्दापन सभ्यता, इन्दुस सभ्यता इत्यादी।
आज विश्व में बहुत से देश हैं जो अपनी भाषा को बचाने के लिए अपने देश के सभी सरकारी कार्य सिर्फ़ अपने ही भाषा में करते हैं। जैसे चीन, जापान, इटली, रशिया इत्यादी। फ़िर क्यों भारत में अंग्रेजो द्वारा पीछे छोड़ दिए गए इस अंग्रेजी भाषा के हम भारतवासी गुलाम बन गए हैं??
मेरा उन सभी वैज्ञानिको तथा ज्ञानियों से यह अनुरोध है की वह अपनी खोज को अपने मात्र भाषा में ही संगठित करे। ऐसा करने से दुसरे देश के लोग उस खोज को जानने के लिए आपकी हिन्दी भाषा को सिखने का प्रयास करेंगे। बिल्कुल उसी तरह जैसे हम भारतियों को पश्चिमी देशो के ज्ञान को जानने के लिए अंग्रेजी सीख कर, उनकी भाषा को महत्वता देना पड़ा।
यदि हम कंप्यूटर तथा सभी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यो को हिन्दी में करें तो भारत में रहने वाले विदेशियों को भी हमारी भाषा सीखनी पड़ेगी। इस प्रकार हिन्दी की महत्वता बढेगी और हमारी संस्कृति लुप्त होने से बच जायेगी।
जब हम भारतवासी जापान जाने से पहले जापानी भाषा सीख कर जाते है, चीन जाने के लिए चीनी भाषा और उनकी संस्कृति जान कर वहां जाते हैं, उसी प्रकार यदि हिन्दी भारत में सरकार की तरफ़ से प्रमुखता पाए तो हमारी भाषा ,जो की सभी भाषाओँ की जननी है देश विदेश में पहचानी जायेगी और भारत को भी पहचान दिलाएगी।
मुझे डर है की जिस प्रकार संस्कृत भाषा आज एक तरह से गुम हो चुकी है कही हिन्दी का भी पश्चमी भाषा के पीछे भागते भागते वही हाल न हो। इसलिए मेरा सरकार से निवेदन है की इस ओर शीग्रता से हिन्दी को बचाने के लिए सम्पूर्ण भारत में नियम लागू करें। हर राज्य में हिन्दी और उस राज्य की क्षेत्रीय भाषा मे ही सभी सरकारी कार्यों को करने का नियम लागू करें।

साथ ही साथ सरकार को सभी राष्ट्रीय कार्यालयों एवं प्राइवेट लिमिटेड सेक्टर्स, विद्यालय, महाविद्यालय या कोई भी सार्वजनिक सेक्टर के कार्यालयों में भारतीय परिधान में ही आना अनिवार्य करना चाहिए। जींस, पेंट , टॉप, सभी प्रकार के पश्चिमी परिधान पहनना इन जगहों पर पुरूष तथा स्त्रियों दोनों के लिए ही निलंबित कर देना चाहिए। जिस प्रकार भारतीय विमान सेवा में कार्यरत महिलाएं साड़ी में ही अपना कार्य करती है, उसी प्रकार सभी विमान सेवाओ को भी भारतीय परिभुषा का पालन करना चाहिए। जिस प्रकार भारतीय सेना में सभी जाती, धर्म के लोग वेशभूषा में एक ही नियम का पालन करते है, भारतीय क्रिकेट टीम जब कही भी खेलने जाती है तो भारत को नीले परिधान से ही पूरे विश्व में प्रस्तुत करती है। उसी प्रकार बाकि के सरकारी कार्यालयों, विद्यालयों, महा विद्यालयों में भी भारतीय परिभुषा को अपनाना एक नियम होना चाहिए।

केन्द्र सरकार की नई शिक्षा नीति सराहनीय- जगतगुरु वामचार्य

केन्द्र सरकार की भारत की शिक्षा नीति को बदलने के इस प्रयास की मैं सराहना करता हूँ। दसवीं कक्षा से बोर्ड की परीक्षा को हटाने के सुझाव बहुत अच्छा कदम है। जब डिग्री मिलने के बाद भी नौकरी के लिए बच्चो को फ़िर से कई परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है तो फ़िर आजकल डिग्री के लिए बोर्ड परीक्षा का महत्त्व ही नही रह गया है। दसवी की परीक्षा तो पूर्व काल में महत्वपूर्ण थी जब उसके मार्क्स को देख कर ही नौकरी मिल जाया करती थी।
यहाँ पर मैं शिक्षा मंत्री जी का ध्यान एक और कार्य की तरफ़ आकृष्ट करना चाहता हूँ।
आजकल कई विद्यालय अपने यहाँ २००० -३००० विद्यार्थियों का दसवी कक्षा के लिए नामांकन करते
हैं परन्तु उनके पास इतने बच्चो को शिक्षा देने के लिए उचित शिक्षक नही होते तथा क्लास और जरुरत की सुविधा नही होती हैं। मेरा सरकार से यह निवेदन है की ऐसी संस्थाओ पर ध्यान दें जो बच्चो के जीवन के साथ खिलवाड़ करते हुए अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं।
सरकार को ट्रस्ट तथा खैराती संस्थाओं द्वारा चलाये जाने वाले सभी विद्यालयों को आसानी से सी बी एस ई से नामांकन देना चाहिए। इस से इन संस्थाओं का मनोबल बढेगा तथा समाज के लिए वह कार्य करने में उत्साहित होंगे। जो सरकारी बाबु इन सस्थाओं को सीबीऍसई से मान्यता प्राप्त करवाने हेतु घूसखोरी करते हैं उन सभी पर रोक लगा दी जाए। तथा सरकार यदि ट्रस्ट चालित विद्यालयों को अपने अधिनस्त कर ले तो ऐसा करने से भ्रष्ट शिक्षा माफियों का बोलबाला कम हो सकेगा। सरकार ट्रस्ट को विद्यालय के लिए एक कमिटी बनाने दे परन्तु शिक्षको की तनख्वा , बच्चो की फीस , परीक्षा को कराने का कार्य सब सरकार तय करे।
साथ ही साथ मेरा यह भी कहना है की विद्यालय खोलने हेतु जो यह नियम है की कम से कम २ एकड़ जमीन होनी ही चाहिए इस नियम को शहरो के लिए कम कर देना चाहिए। यह सुझाव इसलिए दे रहा हूँ ताकि हम शिक्षा को कम से कम खर्च में भारत की गरीब से गरीब और अमीर से अमीर जनता तक बिना किसी आर्थिक परेशानी के पहुँचा सके।
किसी भी देश की उन्नत्ति शिक्षा के ही बल से होती है। इसलिए सरकार से मेरा निवेदन है की भारत के कोने कोने में शिक्षा को सरल एवं सस्ता बनाने का प्रयास करे।

Tuesday, June 23, 2009

भाकपा,माओवादी पर सरकार का प्रतिबन्ध उचित - जगतगुरु वामाचार्य

केन्द्र सरकार द्वारा भाकपा तथा माओवादी संगठन को आतंकवादी संगठन घोषि कर प्रतिबन्ध लगाने का विश्व हिंदू वामा शक्ति ने स्वागत करते हुए सरकार को बधाई दी है। वहीं जगतगुरु वामचार्य सेवक संजय नाथ ने भी सरकार को बधाई देते हुए कहा की केन्द्र सरकार का यह निरणय देश हित में है जिससे भारत सरकार ने चीन को मुह तोड़ जवाब दिया है।
जगतगुरु ने कहा की भारत में अगर इन चीनी आतंकवादियों को जड़ से समाप्त करना है तो भारत को पड़ोसी देश नेपाल से भी नेपाल सरकार के सहयोग से नेपाली मओवादिओं को खात्मा करने की पहल करनी होगी। क्योकि भारत में अशांति फैलाने के लिए नेपाल में ही माओवादियों को प्रशिक्षण दिया जाता है और नेपाल से भारत भेजा जाता है।
इसलिए अगर भारत को पूर्ण माओवादियों से सुरक्षित होना है तो नेपाल के माओवादियों पर भी अंकुश लगाने की पहल नेपाल सरकार से करनी होगी।

Sunday, June 21, 2009

भारत के खिलाफ चाइना की बड़ी शाजिश- नेपाल एक मोहरा

लालगढ़ में सुरक्षाबलों की माओवादियों पर फतह एक बहुत बड़ी कामयाबी है। इस कामयाबी की प्रशंशा करते हुए जगतगुरु वामचार्य सेवक संजयनाथ ने केन्द्र सरकार के इस निर्णय को सराहा तथा केन्द्र सरकार से यह भी निवेदन किया है की भारत में कई और ऐसे राज्य हैं जहाँ नक्सलियों तथा माओवादियों का आतंक मचा हुआ है, इन राज्यों में बिहार, बंगाल, उडीसा तथा उत्तर प्रदेश जैसे राज्य आते है। अतः केन्द्र सरकार को सुरक्षाबल की सहायता से इन आतंकियों का मनोबल गिरा देना चाहिए और इसी प्रकार हरेक राज्य में उनके हमले को कड़ा जवाब देना चाहिए।
जगतगुरु ने सबसे अधिक चिंता नेपाल की स्थिति को देखते हुए जताया। उन्होंने कहा की नेपाल भारत की सीमा पर है। और इन माओवादियों के आतंक से चाइना नेपाल के रास्ते भारत को अशांत करना चाहता है।
उन्होंने सरकार को यह चेतावनी दी है की नेपाल में चाइना के कई जगह माओवादियों के रूप में आतंकवादी कैम्पस जारी है। चाइना की मदद से यह कैम्पस नेपाल में सुरक्षित रूप से अपने आतंकवादी कार्यों को अंजाम दे रहे है। और भारत में हर प्रकार से अशांति फैलाने की कोशिश लगे हुए है।
इस षडयंत्र की शुरुआत चाइना ने काफी वर्षो पहले ही कर दी थी। जिसका जीता जगता उदहारण नेपाल में माओवादियों के माध्यम से क्रांति कर नेपाल के राजा के प्रति लोगों में घृणा उत्पन करके , राजा की सत्ता को ख़त्म कर देना था।
चाइना यह जानता था की जब तक नेपाल में हिंदू राजा का राज्य रहेगा तब तक नेपाल में उनकी कम्युनिस्ट विचारधारा को बढावा नही मिल पायेगा। इसलिए माओवादियों की सहायता से चाइना ने पहले नेपाल से हिंदू राजा की सत्ता को हटा कर उसे धर्म निरपेक्ष राज्य बनाने का ढोंग रचा। इस कार्य में चाइना सफल हुआ। जिसका प्रभाव भारत और नेपाल दोनों ही राष्ट्रों पर पड़ रहा है। भारत जो की धर्म निरपेक्ष होते हुए भी एक हिंदू प्रधान राष्ट्र है, और नेपाल जो की स्वयं एकमात्र हिंदू राष्ट्र था , दोनों के बीच सदा से ही भाई चारा रहा है। नेपाल और भारत में किसी प्रकार की कोई अनबन नही रही है। भारत ने भी सदा नेपाल को आर्थिक रूप से सहायता प्रदान की है.
इस भाई चारे को तोड़ने करने के लिए चाइना की नेपाल से हिंदू धर्म को हटाने की साजिश सदा से रही और आज वह कामयाब हो चुका है।
इस स्थिति को याद दिलाते हुए जगतगुरु ने भारत सरकार से नेपाल में पुनः राजा की सरकार को वापस लाने के लिए कदम बढ़ाने की मांग की है। अन्यथा उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है की ऐसा यदि नही हुआ तो नेपाल सिर्फ़ कहने को ही नेपाल रह जाएगा, परन्तु वहां माओवादी सरकार की सुरक्षा तहत चाइना अपने भारत के खिलाफ मंसूबों को अंजाम देने में सफल होता रहेगा।

Tuesday, June 09, 2009

गाय हत्या एवं तस्करी पर रोक लगाने के लिए वामा शक्ति का ज्ञापन:


दिनांक ९/६/०९ को विश्व हिंदू वामा शक्ति के सैकडो कार्यकर्ता जुलूस निकाल कर नगर भ्रमण करते हुए रक्सौल अनुमंडल कार्यालय पहुंचे। वहां पहुँच कर जुलूस एक सभा में तब्दील हो गई। सभा को संबोधित करने वाले श्री चंद्र शेखर भारती, दीपक श्रीवास्तव, अजय कुमार चौरसिया, विनोद कुमार, रोहित शर्मा, रुपेश कुमार,नवीन कुमार, जय किशन सर्राफ, रुद्र गिरी आदि ने अपने अपने बात को रखा।
जिसमें बाल सन्यासी सेवक सौरभ नाथ ने कहा की आज बिहार में भाजपा गढ़बंधन की सरकार है। तब भी बिहार में अभी तक गौ हत्या पर रोक नही लग पाई। इस से यह सिद्ध होता है की सभी राजनितिक दल सिर्फ़ अपनी सत्ता के लिए हिन्दुओं को गुमराह करते है। यदि सरकार ने गौ हत्या के खिलाफ कोई सख्त कदम नही उठाया तो विश्व हिंदू वामा शक्ति पूरे बिहार में आन्दोलन करेगी।
सेवक संजय नाथ ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा की जब शेर, चीता, हाथी, हिरन, मोर जैसे पशुओं और पक्षियों की हत्या पर सरकार ने रोक लगा रखी है। इन पशुओं से आम आदमी का कोई लेना देना नही है। फ़िर भी सरकार करोड़ों रुपये इनकी रक्षा में सालाना खर्च करती है। फ़िर क्यों उस गाय की रक्षा की तरफ़ सरकार का ध्यान नही है जो आम आदमी को दूध, दही, घी, खाद एवं जलावन हेतु कंडे उपलब्ध कराती है। इस से तो सिर्फ़ येही सिद्ध होता है की कुछ मुस्लिम वोटों के लोभ में सभी राजनितिक दल इस मुद्दे को नज़र अंदाज़ कर रहे है।
सभा के समाप्ति के बाद प्रतिनिधि मंडल ने रक्सौल के अनुमंडल प्राधिकारी को ज्ञापन देते हुए गाय की हत्या एवं तस्करी सम्बंधित कार्यों पर रोक लगाने की मांग की।
इस पर रक्सौल अनुमंडल अधिकारी ने इस मुद्दे की महत्वता को देखते हुए फ़ौरन जांच हेतु आदेश दे दिए हैं।

विश्व हिंदू वामा शक्ति इस मुद्दे पर प्रशाशान का ध्यान आकृष्ट करा कर जल्द ही गौ हत्या जैसे घ्रणित कार्य को बिहार में सदा के लिए बंद करना चाहती है.

Sunday, June 07, 2009

भारतीय हिंदू छात्रों पर आस्ट्रेलियन ईसाईयों का अत्याचार

विश्व हिंदू वामा शक्ति के द्वारा ५ जून २००९ को ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री का पुतला फूंका गया। इसमें राष्ट्रीय महामंत्री दीपक श्रीवास्तव ने भारत के प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंग से ऑस्ट्रेलिया में प्रताडित भारतीय हिंदू छात्रों पर हो रहे हमले के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की मांग की। उन्होंने सरकार को इस बात पर ध्यान देने को कहा की ऑस्ट्रेलिया में भी सिर्फ़ भारतीय हिंदू या मुस्लिम छात्रों पर ही हमले हो रहे हैं। इसाई हिंदू छात्रों पर किसी प्रकार का कोई हमला या प्रताड़ना देने की ख़बर नही है।
यह सिद्ध करता है की ऑस्ट्रेलिया में भारतियों से कोई कष्ट नही है, यह तो सिर्फ़ हिंदू और इसाइयों की लडाई है।
जिन हिन्दुओं से वहां करोडो की आमदनी है उन हिन्दुओं पर इतना अत्याचार!!!
और दुःख की बात यह है की भारतीय मीडिया इस बात को हिन्दुओं के लिए ना कह कर इंडियन अत्याचार की बात कहती है। ऑस्ट्रेलिया में भी तो यह हिंदू छात्र अल्प संख्यक है। फ़िर क्यों जब भारत में किसी भी मुस्लिम या इसाई धर्म पर होने वाले एक भी कांड को मीडिया इतनी महत्वता देती है। और क्यों हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार को एक देश का मुद्दा बना कर इसे छुपाया जा रहा है??
वहीं पर अंतर्राष्ट्रीय महा मंत्री चंद्रशेखर भारती ने कहा यह मांग की की या तो भारत को ऑस्ट्रेलिया से सभी हिंदू संप्रदाय की और से एक माफीनामा माँगना चाहिए अथवा सभी हिंदू भारतियों को ऑस्ट्रेलिया से वापसबुला कर इस घटना का विरोध करना चाहिए। ताकि भविष्य में किसी दुसरे देश में भारतीय हिन्दुओं पर इस तरह का अत्याचार दुबारा न हो सके।
विश्व हिंदू वामा शक्ति ने श्री अमिताभ बच्चन जी की सराहना करते हुए कहा की आस्ट्रेलियन सम्मान को इनकार कर के उन्होंने यह सिद्ध किया की वह एक सच्चे भारतीय नागरिक हैं।