रक्सौल,पूच। माता पार्वती ने बारह वर्षो की तपस्या के बाद शिव को प्राप्त किया था। धर्म शास्त्रों पर नजर डालें, तो महादेव गरीब व भिक्षाटन करने वाले देवता व माता पार्वती राजा की पुत्री थी। इसको लेकर विरोध हुआ, परंतु जप-तप व देवगण की कृपा से शादी संपन्न हुई। दहेज प्रथा के अंत व समतामूलक समाज की स्थापना के लिए इस भौतिकवादी युग में कुछ इसी प्रकार की आवश्यकता है। समाज के पढ़े-लिखे अभिभावक व युवा वर्ग जो अपनी सभ्यता-संस्कृति की समझ रखते है, उन्हें जात-पात से उपर उठकर सादे समारोह में पाणिग्रहण संस्कार के लिए आगे आना चाहिए। इसके लिए वर-वधु दोनों पक्ष के सगे-संबंधी का राजी होना आवश्यक है। उक्त बातें महाविशरात्रि के अवसर पर अंतरजातीय विवाह करने वाले सीतामढ़ी निवासी वर्तमान में रक्सौल में एक व्यावसायिक प्रतिष्ठान के संचालक रामचंद्र पररशुरामपुरिया के पुत्र अनिल अग्रवाल व वाराणसी निवासी हरिदास श्रीवास्तव की पुत्री रश्मि श्रीवास्तव को कालीन्यास प्रांगण में सेवक संजयनाथ ने एक भव्य समारोह में सम्मानित करते हुए कही। इस दौरान उन्होंने 11 हजार नकद, प्रशस्ति पत्र व अंगवस्त्र देकर युगल को आशीर्वाद दिया। उन्होंने ऐसे युगल को जो पात-पात से उपर उठकर विवाह करते हैं, उन्हें प्रत्येक वर्ष सम्मानित करने की घोषणा की। इस मौके पर प्रो. विनय कुमार, डा. स्वयंभू शलभ, किरणशंकर, अनिल सर्राफ, चंद्रशेखर भारती, विजय गुप्ता, दीपक श्रीवास्तव, ई. अशोक कुमार, सेवक सौरभनाथ सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे।
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Thursday, March 03, 2011
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