सेवक संजयनाथ तांत्रिक काली मंदिर में छठे मंज़िल पर स्थापित विश्व के अद्वितिय भगवान चित्रगुप्त महाराज अपने 12 वंशजो के साथ विराजमान हैं. विश्व के किसी भी मंदिर में श्री चित्रगुप्त महाराज अपने 12 वंश के साथ कही भी मूर्ति रूप में स्थापित नही है।
सेवक संजयनाथ तांत्रिक काली मंदिर में चित्रगुप्त परिवार की इस अलौकिक प्रतिमा की अनोखे ढंग से पूजा की जाती है. चित्रगुप्त महाराज की पूजा पूरे विश्व में सिर्फ़ कायस्थ जाति के लोग ही किया करते हैं परंतु सेवक संजयनाथ तांत्रिक काली मंदिर में समस्त हिंदू धर्म के लोग चित्रगुप्त महाराज की पूजा बड़े चाव से करते हैं.
यह अपने आप में ही एक अद्भुत घटना है। इस मौके पर जगतगुरू वामाचार्या ने सभी हिंदू धर्म प्रेमियों से कहा की भगवान किसी जाति विशेष के नही होते हैं। जो व्यक्ति जिस प्रकार के कार्य करता है उसी के ईष्ट देवता की अराधना भी करता है। जैसे पहले विश्वकर्मा पूजा सिर्फ़ लोहार ओर बड़ई जाति के लोग ही किया करते थे. परंतु आज जो भी लोग फॅक्टरी आदि में काम करते हैं वो सभी बिना जाति को देखते हुए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं।
इसी प्रकार जो भी लोग कलम तथा लेखनी द्वारा अपना जीवन यापन करते हैं उन्हे भगवान चित्रगुप्त महाराज की पूजा अवश्य करनी चाहिए. जो भी बच्चे पढ़ाई में कमजोर हैं उन्हे तो रोज़ ही चित्रगुप्त महाराज की पूजा करनी चाहिए।
साथ ही साथ जगतगुरू ने बताया की यदि पूजा अर्चना जाति विशेष होती तो भीस्म पितामह को इक्षा मृत्यु का वरदान चित्रगुप्त महाराज से कभी ना मिलता। महाभारत के समय भीष्मा पितामह ने क्षत्रिय होते हुए भी चित्रगुप्त भगवान की आराधना की और भगवान चित्रगुप्त ने भी उन्हे इक्षा मृत्यु का वरदान दे कर इस बात की पुष्टि की की पूजा किसी भी जाति विशेष तक सीमित नही होती।
इस पूजा में विश्व हिन्दूवामाशक्ति के कार्याकर्ताओं ने भाग लिया जिसमें किरण शकर, अनिल कुमार सर्राफ़, चंद्रशेखर भारती, संजीत मिश्रा, सेवक सौरभनाथ, श्रीमती बिना सर्राफ़,दीपक श्रीवास्तवा तथा मनीष पाठक ने कलम दवात की विधिवत पूजा की और हवन के बाद सभी भक्तो में प्रसाद वितरण किया गया।
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Monday, October 19, 2009
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बढ़िया जानकारी के लिए आभार
ReplyDeletebahut hi achchi knowledge hai.Thanks
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