Counter

Thursday, August 25, 2011

अन्ना की लाश पर सरकार एवम विपक्षी दल की राजनीति हो रही है:


सरकार और विपक्ष दोनो पार्टियों की जनलोकपाल बिल पर प्रतिक्रिया देख कर मुझे यह प्रतीत हो रहा है की दोनो ही पक्ष अन्ना हज़ारे जी के इस आंदोलन से अपने अपने राजनीतिक उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं| किसी को भी अन्ना हज़ारे जी की जान और उनके भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने के इस अभियान से कोई सरोकार नही है|

कॉंग्रेस ने तब तक जनलोकपाल बिल को संसद में पेश नही किया जब तक की वह इस बात से आश्वस्त नही हो गयी कि विपक्ष भी इस लोकपाल बिल के समर्थन में नही है| सरकार इस समय के ताक में थी जब विपक्षी पार्टियाँ बिल के लिए अपना पूरा समर्थन ना दें, और सरकार जनता के सामने अन्ना हज़ारे के समर्थन में दिखाई दे तब वह लोकसभा में बिल पेश करे| 

भाजपा ने भी अन्ना हज़ारे टीम के अनशन को शुरू में अपना पूरा समर्थन दिया ताकि जनता का विश्वास जीत सके | परंतु जैसे ही बिल लोकसभा में पेश करने के लिए सरकार आगे आई तो पीछे से भाजपा ने जनलोकपाल बिल से पूरी तरह सहमति ना जताते हुए उसमें संशोधन की माँग कर दी| ऐसा करके भाजपा स्वयं अपनी ही राजनीति में फेल हो चुकी है| भाजपा ने शुरू में आंदोलन को समर्थन दिया परंतु एक दो दिन पहले ही अपने वक्तव्य में यह दर्शा दिया की वह भी जनलोकपाल बिल के समर्थन में पूरी तरह से नही है|

जनता को अब यह समझ आ गया है की सरकार एवम विपक्ष / भाजपा दोनो ही एक साथ हैं| मेरे विचार से जनता के समक्ष इस समय भाजपा की स्थित तो कॉंग्रेस से भी ज़्यादा खराब है, क्योंकि सरकार तो बिल को लोकसभा में चर्चा के लिए पेश कर के अपना पक्ष अन्ना के समर्थन में दर्शा चुकी है, परंतु भाजपा ने बिल के लिए पूरा समर्थन ना दिखा कर जनता के सामने अपनी राजनीति स्वयं फेल कर दी है|

इन दोनो ही पार्टियों के इस राजनीतिक मंशा को देखते हुए मुझे यह प्रतीत हो रहा है की सरकार एवम विपक्ष दोनो ही इस बिल को पास होने नही देना चाहते है, बल्कि दोनो ही जनलोकपाल बिल को अपने अगले चुनाव का मसौदा बनाने में जुटे हुए है|

भाजपा यह चाह रही थी की सरकार जनलोकपाल बिल को लोकसभा मे पेश ना करे ताकि अगले चुनाव में वह इस बात कॉ मुद्दा बना कर जनता से कह सके की यदि वे सरकार में आए तो इस बिल को लोकसभा में पेश कर देंगे| परंतु इस वक्त कॉंग्रेस ने बिल को लोकसभा में पेश करके भाजपा के इस राजनीतिक चाल को फेल कर दिया है| कॉंग्रेस यह चाह रही थी की विपक्ष का हवाला देते हुए जनता से कह सके की हम तो लोकसभा में बिल पास करना चाहते थे, परंतु विपक्ष ने साथ नही दिया, और ऐसा करने में वह सफल भी हो गयी| परंतु सच्चाई यह है की दोनो ही इस बिल को पास नही होने देना चाहते है| मेरी भाजपा को यह चेतावनी है की वा अन्ना को अपना पूरा समर्थन दे वरना भाजपा की साख मॅटीया-मेट हो जाएगी

मेरी सरकार एवम विपक्ष दोनो से ही यह विनती है की जनता की माँग को अनसुना ना करते हुए अन्ना हज़ारे जी के जनलोकपाल बिल को जल्द से जल्द संसद में पारित करवाने का संगठित प्रयास करें| 




No comments:

Post a Comment