

महाशिवरात्रि के अवसर पर शुक्रवार को सेवक संजयनाथ तांत्रिक काली मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। हर-हर, महादेव के जयघोषों से वातावरण प्रातः ६ बजे से ही गुंजने लगा।
काली मंदिर परिसर से कलश यात्रा के साथ भगवान शिव के विभिन्न रूपों की झांकियों के साथ बारात निकाली गई, जिसमें शामिल शिव के गण आकर्षण का केन्द्र बने रहे। जगतगुरु वामाचार्य सेवक संजयनाथ ने शाही जुलूस का नेत्रित्व्य करते हुए सभी भक्तो के साथ काली मंदिर से सरिसवा नदी जा कर शिव जी की घाट पर पूजा की। फिर वहा से नदी का जल ले कर नगर परिक्रमा करते हुए यात्रा मंदिर वापस पहुंची।


मंदिर में भगवान शिव का भव्य श्रृंगार कार्यक्रम आयोजित किया गया। हज़ारो की संख्या में श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किए और रात्रि जागरण किया. भोलेशंकर का दिव्य श्रृंगार एवं भस्म आरती स्वयं जगतगुरु वामाचार्य सेवक संजयनाथ ने अपने हाथों से किया। ततपश्चात् सभी भक्तों ने भी चारो प्रहर रात्रि जागरण करते हुए भोलनाथ का रुद्राभिषेक तथा आरती की। इस दौरान अखंड अष्टयाम व भंडारा का आयोजन भी हुआ।


सेवक संजयनाथ तांत्रिक काली मंदिर की शिवरात्रि अपने आप में आलौकिक है। २०० किलो से ऊपर दूध, दही, मध्, शक्कर तथा जल से भोलेनाथ का रुद्राभिषेक शिवरात्रि पर्व में भक्तो की भक्ति कों दर्शाता है। रात्रि के चारो प्रहर में रुद्राभिषेक के पश्चात् हर बार अलग ढंग से शिव लिंग का श्रृंगार भी अति मनमोहक है।
शिवरात्रि पर काली मंदिर में साधना गृह की माँ काली के दर्शन के लिए भी काफी भक्तजन साल भर इंतज़ार करते है। शिवरात्रि साल का पहला उत्सव होता है जब सेवक संजयनाथ तांत्रिक काली मंदिर में सेवक संजयनाथ जी अपनी साधना गृह कों भक्त जनों के लिए खोल देते है।
मंदिर में महाशिवरात्रि को देखते हुए विशेष इंतजाम किए गए थे। इस अवसर पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
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